डिजिटल क्रांति के बावजूद पुस्तकें पढ़ने वालों की संख्या में कमी नहीं आई बल्कि इजाफा ही हुआ है, डिजिटल क्रांति के बावजूद पुस्तकें पढ़ने वालों की संख्या में कमी नहीं आई बल्कि इजाफा ही हुआ है। हर वर्ग और हर उम्र के लोग किताबें पढ़ना चाह रहे हैं। पहले पुस्तक मेलों में बहुत ज्यादा दर्शक आते नहीं थे।
दिल्ली दर्पण टीवी ब्यूरो
नई दिल्ली। डिजिटल क्रांति के बावजूद पुस्तकें पढ़ने वालों की संख्या में कमी नहीं आई बल्कि इजाफा ही हुआ है। हर वर्ग और हर उम्र के लोग किताबें पढ़ना चाह रहे हैं। यह बात अलग है कि अब उनकी पसंद परंपरागत साहित्य पुस्तकों के साथ- साथ अपनी रूचि और जरूरत के अनुरूप व्यापक हो गई है।
एक समय था जब साहित्य का पर्याय मोटे- मोटे उपन्यास, कहानी संग्रह, जीवनियां, कविता संग्रह और निबंधात्मक पुस्तकें होती थीं। वक्त बदलने, सैटेलाइट चैनल आने एवं इलेक्ट्रानिक गैजेट्स आने के बाद एक समय ऐसा भी आया जब पुस्तकों की बिक्री और इन्हें पढ़ने दोनों के प्रति गिरावट आने लगी। पुस्तक मेलों में भी या तो बहुत ज्यादा दर्शक आते नहीं थे और आते भी थे तो उनमें किताबें खरीदने वालों की संख्या बहुत कम होती थी। लेकिन पिछले कुछ सालों में स्थितियां फिर तेजी से बदली हैं।
आज न केवल लोग पुस्तकें पढ़ना चाह रहे हैं बल्कि पुस्तकें खरीदना भी पसंद करने लगे हैं। इस बार तीन साल में हुए विश्व पुस्तक मेले में जितनी भीड़ आई है, देखते ही बनी। खास बात यह कि यह भीड़ केवल मेला घूमने वालों की नहीं रही। अपितु इसमें एक बड़ी संख्या पुस्तकें खरीदने वालों की भी थी। यह बात अलग है कि आज का पाठक छोटी कहानियां या यूं कहें कि लघुकथा, सामयिक या चर्चित विषयों पर आधारित उपन्यास, शेराे शायरी, रोमांटिक या कटाक्ष करने वाली कविताएं, चर्चित हस्तियों से जुडे़ विषयों सहित अपनी जरूरत के मुताबिक पुस्तकें पढ़ना भी पसंद करता है। मसलन, योग, प्रबंधन, पाककला, हास्य व्यंग्य, बच्चों की देखभाल, स्वास्थ्य, आयुर्वेद, फिल्मों, व्यक्तित्व विकास इत्यादि। धार्मिक पुस्तकों के प्रति भी पाठकों का रूझान बढ़ा है।
10 लाख से अधिक पाठक, करोड़ों का कारोबार
किताबों के प्रति दिल्ली एनसीआर वासियों का बढ़ता प्रेम कहें या कुछ और लेकिन 30 वें विश्व पुस्तक मेले ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले का रिकार्ड भी तोड़ दिया। मेले में आने वाले पुस्तक प्रेमियों की संख्या तो व्यापार मेला दर्शकों के करीब पहुंच गई। कारोबार भी करोड़ों रुपये का हुआ। शनिवार-रविवार को तो मेले में पाठकों को कतार में लगकर प्रवेश करते देखा गया। मेला आयोजक राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के मुताबिक नौ दिन के मेले में 10 लाख से अधिक पाठक पहुंचे। पुस्तकों की बिक्री का आंकड़ा भी करोड़ों में रहा।
चार हजार से अधिक बिकी श्रीरामचरित मानस की प्रतियां
इस बार मेले में धार्मिक पुस्तकें भी खूब बिकीं। गीताप्रेस गोरखपुर के स्टाल पर श्रीरामचरितमानस की जहां चार हजार से अधिक प्रतियां बिक गईं वहीं बिक्री का आंकड़ा 20 लाख से अधिक का रहा। प्रभात प्रकाशन की 12 हजार से अधिक किताबें बिकीं।