26 अप्रैल को होने वाले महापौर चुनाव का पीठासीन अधिकारी कौन होगा इसका निर्णय सोमवार तक हो सकता है।
दिल्ली के महापौर के लिए 26 अप्रैल को होने वाले महापौर चुनाव का पीठासीन अधिकारी कौन होगा इसका निर्णय सोमवार तक हो सकता है। चूंकि पिछली बार पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा के नाम को लेकर काफी विवाद भी हुआ था और आप सरकार ने इसकी आलोचना भी की थी।
नई दिल्ली । दिल्ली के महापौर के लिए 26 अप्रैल को होने वाले महापौर चुनाव का पीठासीन अधिकारी कौन होगा इसका निर्णय सोमवार तक हो सकता है। चूंकि पिछली बार पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा के नाम को लेकर काफी विवाद भी हुआ था और आप सरकार ने इसकी आलोचना भी की थी।
हालांकि, उपराज्यपाल ने सत्या शर्मा को पीठासीन अधिकारी बनाए जाने लेकर स्पष्ट भी किया था कि उन्हें आखिर क्यों यह जिम्मेदारी दी गई है। ऐसे में दूसरे वर्ष के लिए हो रहे महापौर चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी चयन करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। दिल्ली नगर निगम ने इससे संबंधित फाइल को शहरी विकास विभाग को भेज दिया है। शहरी विकास विभाग से फाइल उपराज्यपाल के पास पहुंचेगी तो उन्हें ही आखिरी निर्णय लेना होगा।
दिल्ली नगर निगम एक्ट के अनुच्छेद 77 (ए) के तहत दिल्ली के प्रशासक को महापौर और उप महापौर चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी चुनने का अधिकार है। वह किसी भी पार्षद को अपने विवेक के आधार पर पीठासीन अधिकारी चुन सकते हैं।
बशर्ते उपराज्यपाल द्वार बनाए गया पीठासीन अधिकारी महापौर और उप महापौर चुनाव का प्रत्याशी नहीं होना चाहिए। इस स्थिति में वर्तमान महापौर डा. शैली ओबेराय और उप महापौर पद पर प्रत्याशी आले मोहम्मद इकबाल के साथ ही भाजपा की महापौर प्रत्याशी शिखा राय और उप महापौर पद पर प्रत्याशी सोनी पांडेय की पीठासीन अधिकारी नहीं बन सकती है।
पूर्व की परंपराओं के अनुसार निवर्तमान महापौर को पीठासीन अधिकारी बनाया जाता रहा है, लेकिन तब ही बनाया गया है जब वह प्रत्याशी नहीं होते। 2021 में पूर्वकालिक उत्तरी निगम के महापौर चुनाव में निवर्तमान महापौर जय प्रकाश को पीठासीन अधिकारी नहीं बनाया गया था। तत्कालीन उपराज्यपाल ने तत्कालीन कांग्रेस दल के नेता मुकेश गोयल को पीठासीन अधिकारी बनाया गया था। उस समय राजा इकबाल सिंह महापौर बने थे।
इन छह नामों पर हुआ था विवाद
पिछली बार महापौर चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी बनाने को लेकर निगम ने कोई सुझाव उपराज्यपाल को नहीं दिया था और न ही इस बार दिया था। शहरी विकास विभाग ने छह पार्षदों के नाम भेजे थे। इसमें आप पार्षद मुकेश गोयल, प्रीति, हेमचंद गोयल, निर्दलीय शकिला बेगम के साथ ही भाजपा पार्षद सत्या शर्मा और नीमा भगत का भी नाम था।
इसमें से उपराज्यपाल ने मुकेश गोयल और प्रीति का नाम आपराधिक मुकदमे दर्ज होने की वजह से चयन नहीं किया थ। जबकि शकीला बेगम को केवल पांचवी और हेमचंद को दसवीं पास ही होने की वजह से नहीं चुना था। नीमा भगत और सत्या शर्मा पूर्व महापौर हैं साथ ही स्नातक हैं। इसलिए सत्या शर्मा का नाम चुना था।
फिर से सत्या शर्मा का पलड़ा है भारी
दिल्ली नगर निगम के महापौर चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी को लेकर भाजपा पार्षद सत्या शर्मा का पलड़ा फिर भारी है। उन्हें फिर से पीठासीन अधिकारी बनाया जा सकता है। हालांकि विवाद न हो इससे बचने के लिए भाजपा पार्षद नीमा भगत का नाम भी इसके लिए उपराज्याल तय कर सकते हैं।
सूत्रों के मुताबिक दिल्ली सरकार ने अभी फिलहाल इस संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया है। अभी दिल्ली सरकार के पास ही फाइल है। शुक्रवार को संभवत: फाइल उपराज्यपाल को भेजी जाए और वह सोमवार तक इस पर निर्णय ले लें।