Friday, January 31, 2025
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फिर वही दास्तान है मौला

नवोदित

फिर वही दास्तान है मौला.
और इक इम्तहान है मौला.
फिर से शहज़ोर हो गया ज़ालिम,
देश फिर बेज़ुबान है मौला.
फिर वही बेबसी का आलम है,
सच की कटती जुबान है मौला.
बेतुके से बयान देता है,
फिर भी हाकिम महान है मौला.
साज़िशें ज़ुल्म और हक़तलफी,
उसके शायाने शान है मौला.
चंद दिनों के ये रुतबे और ओहदे,
उस पर इतना गुमान है मौला.

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