आरएसएस का आशीर्वाद प्राप्त है उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को, बृजभूषण शरण का बचाव करने से मोदी और अमित शाह से नाराज हैं मोहन भागवत
चरण सिंह राजपूत
बीजेपी सांसद और कुश्ती फेडरेशन के निर्वतमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण का आरोप लगाते हुए दिल्ली जंतर मंतर पर बैठे पहलवानों का मामला बीजेपी के लिए दिक्कतभरा होता जा रहा है।
दिल्ली पुलिस के धरने को दमन के बल पर खत्म करने और पहलवानों के मेडलों को गंगा में बहाने के निर्णय के बाद भाकियू और संयुक्त किसान मोर्चा के केंद्र सरकार को ललकारने के बाद देश में आये उबाल के बाद बीजेपी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के स्टैंड का बीजेपी में ही विरोध होना शुरू हो गया है। खबर आ रही है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बृजभूषण शरण सिंह को बचाने से बहुत नाराज हैं। खबर यहाँ तक आ रही है कि योगी ही नहीं आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी इस मामले में मोदी ओर अमित शाह के रवैये से गुस्से में हैं। तो क्या आरएसएस मोदी और अमित शाह को झटका देने वाला है। योगी आदित्यनाथ से बड़ा संदेश दिलाने वाला है।
दरअसल उत्तर प्रदेश मॉडल पर आने वाले राज्यों के विधानसभा चुनाव और 2024 में लोकसभा चुनाव इस आंदोलन से प्रभावित हो सकते हैं। उत्तर प्रदेश को गुंडामुक्त बनाने की छवि योगी आदित्यनाथ ने बना रखी है। वह बृजभूषण प्रकरण से ख़राब हो रही है। बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ न केवल दिल्ली में दर्ज पोक्सो एक्ट समेत यौन शोषण के मामले हैं बल्कि उत्तर प्रदेश में भी कई मामले दर्ज हैं। बृजभूषण शरण को गोंडा का भूमाफिया भी बोला जाता है। कई बीघा जमीन में बानी बृजभूषण शरण सिंह की कोठी और हेलीकॉप्टर के साथ ही 56 कॉलेज उनका रुतबा बयां करते हैं।
जिस तरह से पहलवानों के आंदोलन को राजपूत/जाट का नाम दे दिया गया है। उससे योगी आदित्यनाथ को लग रहा है कि बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी न होने से जहां पश्चिमी उत्तर पर प्रदेश का बीजेपी का वोटबैंक खिसकने की आशंका हो गई है वहीं योगी को अपनी छवि खराब होने की आशंका हो गई है। आरएसएस इस बात से ज्यादा नाराज है कि आधे की आबादी महिलाओं में इस प्रकरण से बीजेपी के प्रति नाराजगी बढ़ रही है। जो बीजेपी का वोटबैंक बताया जाता है। आरएसएस को यह भी चिंता सता रही है कि इस मामले को वह हिन्दू मुस्लिम का रूप भी नहीं दे सकते हैं। जाट न केवल पश्चिमी उत्तर प्रदेश बल्कि हरियाणा और राजस्थान में भी बड़ी संख्या में बीजेपी का वोटबैंक है।
मोहन भागवत के लिए यह भी दिक्कत भरा है कि उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को जाति और धर्म जाने बिना मिलने खेलने कूदने का संदेश दिया। खुद मस्जिदों में जा जाकर इमामों से मिल रहे हैं और बृजभूषण शरण सिंह के मामले में हिन्दुओं में ही तनाव हो रहा है। वैसे भी हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इज्जत के लिए लोग कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। ऐसे में यदि इन तीनों क्षेत्र के लोग बीजेपी से नाराज हो गए तो न केवल राज्यों के विधानसभा चुनाव बल्कि 2024 का लोकसभा चुनाव भी यह प्रकरण प्रभावित कर सकता है।