पूर्व वाइस प्रिंसिपल सोनाली ने रोहिणी कोर्ट में दायर की थी याचिका
सोनाली की जगह बना दिया मेधावी को प्रिंसिपल, दस्तावेजों से गायब कर दिया गया था उनका रिकार्ड
और भी कई शिक्षक और शिक्षिकाओं का रिकार्ड भी कर दिया गायब
हर विभाग, मंत्री, एलजी, राष्ट्रपति, पीएमओ तक को की गयी शिकायत, तत्कालीन प्रिंसिपल शशि हरीश ने अलग-अलग विभाग द्वारा उनके डिग्री मांगे जाने पर दिए बड़े ही हास्यापद जबाब
दिल्ली दर्पण ब्यूरो
पीतमपुरा। कहा जाता है कि गलत काम करने वाला कितना भी शातिर हो। कितने भी विभागों से मिलीभगत कर ले। कितना भी पैसा अधिकारियों को खिला ले पर जब कोर्ट का डंडा चलता है तो सब होशियारी निकल जाती है और फिर पड़ते हैं लेने के देने। ऐसा ही मामला देश की राजधानी दिल्ली के पीतमपुरा स्थित निजी स्कूल ‘राइजिंग स्टार एकेडमी स्कूल’ का है। इस स्कूल के मैनेजेमेंट ने सभी नियम कानून का उल्लंघन कर अपनी मनमानी की। शिक्षा विभाग के साथ ही पुलिस प्रशासन को भी साध लिया। अब जब रोहिणी कोर्ट का आदेश का आया तो पुलिस प्रशासन में भी हड़कंप मच गया। कोर्ट के आदेश पर नेताजी सुभाष प्लेस थाना पुलिस ने स्कूल मैनेजमेंट के खिलाफ धोखाधड़ी, बेईमानी और जालसाजी के अंतर्गत धारा 420/ 34 के तहत मामला दर्ज़ किया है ।
यूं तो इस स्कूल के खिलाफ शिक्षा विभाग में EWS नर्सरी एडमिशन घोटाला, अवैध निर्माण और अतिक्रमण के साथ-साथ अभिभावकों-शिक्षकों से अवैध वसूली जैसी कई शिकायतें ही दर्ज़ नहीं की गई हैं बल्कि स्कूल की मान्यता रद्द किये जाने तक के नोटिस भी डीडीए और शिक्षा विभाग ने दिए गए हैं। कई मामले कोर्ट में हैं जिनमें शिक्षकों के सर्विस रिकॉर्ड से छेड़छाड़ और धोखाधड़ी के मामले में अब पुलिस ने आखिकार मुकदमा दर्ज़ किया है। कोर्ट ने पुलिस की भमिका पर भी कई सवाल खड़े करते हुए पुलिस को दो महीने में अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए है।
मामला स्कूल की पूर्व उप प्रधानाचार्य का है। शिकायतकर्ता सोनाली का आरोप है कि स्कूल ने उसके सर्विस रिकॉर्ड से एक साजिश के तहत छेड़छाड़ की है। दरअसल सोनाली ने 1999 में एक शिक्षिका रूप में जॉइन किया था। उसके बाद कई बार पदोन्नति के बाद 2007 -2008 में वह वॉइस प्रिंसिपल बनीं। वर्ष 2019 में स्कूल की प्रिंसिपल शशि हरीश स्कूल से रिटायर्ड हुईं तो वरिष्ठता के आधार पर सोनाली को प्रिंसिपल बनाया जाना था पर उन्हें यह जानकर हैरानी हुई कि स्कूल मैनेजमेंट ने उसके स्थान पर मेधावी मालिक को प्रिंसिपल बना दिया है, जबकि मेधावी से सोनाली 7 साल सीनियर थी।
मामले की शिकायत की तो उसे जानकारी दी गयी कि उसकी नियुक्ति 2007 में की गयी थी। यानी कि स्कूल ने उसके रिकॉर्ड से 8 साल ही गायब कर दिए। बताया जा रहा है कि यह धोखाधड़ी केवल सोनाली के साथ ही नहीं की गई है बल्कि स्कूल के एक दर्जन से ज्यादा शिक्षक-शिक्षिकायें के साथ ऐसा किया गया। यह सब इसलिए किया गया कि इन सबको पदोन्नति और वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार भुगतान न करना पड़े।
अपने साथ हुई इस नाइंसाफी और धोखाधड़ी की शिकायत जब सोनाली ने की तो स्कूल मैंनेजमेंट ने उस पर भ्र्ष्टाचार झूठे आरोप लगाकर उन्हें सस्पेंड कर दिया। इसके बाद सोनाली ने सभी जगह शिकायतें की। पुलिस को भी शिकायत दी पर 2 साल तक भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। फिर शिकायतकर्ता ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तब जाकर पुलिस हरकत में आयी और मामला दर्ज़ का जांच शुरू कर दी है।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान स्कूल मैनेजमेंट से सोनाली के सर्विस रिकॉर्ड पेश करने को कहा तो स्कूल ने बड़ा ही हास्यपद जबाब देते हुए कहा कि स्कूल के सभी शिक्षिक और शिक्षिकाओं के सर्विस रिकॉर्ड को दीमक चाट गयी। इस पर कोर्ट ने पूछा कि क्या रिकॉर्ड कम्प्यूटर में नहीं है ? इस सवाल पर पुलिस ने जबाब दिया कि उन्हें स्कूल मैनेजमेंट ने यही जबाब दिया है।
कोर्ट ने पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाये हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि शिक्षा विभाग और पुलिस स्कूल मैनेजमेंट पर इतना मेहरबान क्यों है कि वह स्कूल की हर मनमानी और धांधलियों की शिकायत पर सालों से आँखें मूंदे बैठी है। कई बार कई विभाग स्कूल कागजी खानापूर्ति के नाम पर नोटिस भी देते हैं। स्कूल की मान्यता रद्द करने का भी नोटिस देते हैं लेकिन यह सारी नूरा कुश्ती केवल कागजों पर चलती आ रही है। लिहाज़ा इनके परिणाम भी कागजी ही नजर आते हैं। स्कूल में शिक्षा विभाग और पुलिस के बड़े बड़े आला अधिकारी, और नेता अक्सर स्कूल के आयोजनों में मुख्य अतिथि के रूप में नजर आतें है। इन पर करवाई नहीं होने की वजह भी शायद यही है।
हैरत की बात यह है कि शिक्षिकाओं के साथ ही धोखाधड़ी नहीं की गई है बल्कि स्कूल की प्रिंसिपल शशि हरीश पर तो आरोप है कि वह 35 साल तक फ़र्ज़ी डिग्री के बल पर स्कूल की प्रिंसिपल बनी रहीं। इसकी भी शिकायत हर विभाग और मंत्री एलजी ,राष्ट्रपति , पीएमओ तक को की गयी। प्रिंसिपल शशि हरीश ने अलग-अलग विभाग द्वारा उनके डिग्री मांगे जाने पर बड़े ही हास्यपद जबाब दिए।
शिक्षा विभाग और पुलिस को कहा की 2020 में उनके शैक्षिक योग्यता से जुड़े सभी दस्तावेज और डिग्रियां सड़क पर कहीं खो गए। उन्हें ना रोल नंबर पता है और ना ही यूनिवर्सिटी का नाम और पास का वर्ष ही याद है।
बहरहाल स्कूल मैनेजमेंट के खिलाफ मामला दर्ज़ होने के बाद स्कूल प्रशासन ही नहीं बल्कि पुलिस और शिक्षा विभाग में भी हड़कंप है। उन्हें पता है कि जितनी धांधलियां और भ्र्ष्टाचार स्कूल मैनेजमेंट ने किये हैं। उन सब पर भी यदि कोर्ट ने संज्ञान ले लिया तो यह सब भी सामने आ जाएगा कि जिस दिल्ली के शिक्षा मॉडल का ढिंढोरा दिल्ली सरकार देश भर में पीट रही है उसकी असलियत क्या है ?