इस जवाब में खाली नजर आ रहा पीएम मोदी का भी तरकश
संविधान से ही इंडिया हटवाने में लगी बीजेपी
गुलामी का प्रतीक बता बीजेपी सांसद नरेश बंसल ने राज्य सभा में इंडिया को हटाने की मांग की
चरण सिंह राजपूत
राष्ट्रवाद के नाम पर राजनीति करना देश के लिए कितना घातक है। चुनाव में राष्ट्रवाद के मुद्दे को तरजीह देना कितना नुकसानदायक है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि विपक्ष ने गठबंधन का नाम इंडिया क्या रख लिया कि बीजेपी में हड़कंप मच गया। राष्ट्रवाद के मुद्दे पर राजनीति के क्षेत्र में बुलंदी छूने वाले प्रधानमंत्री की समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर वह करें तो क्या करें।
दरअसल बीजेपी ने राष्ट्रवाद को ढाल बनाकर राजनीति की है। भावनात्मक मुद्दों पर राजनीति की है। बीजेपी भली भांति जानती है कि राष्ट्रवाद के मुद्दे कैसे लोगों को प्रभावित करते हैं। बीजेपी जानती है कि वे राष्ट्रवाद ही है कि जिसके सामने लोग जमीनी मुद्दों को भी भूल जाते हैं। बीजेपी को यह मालूम है कि वह राष्ट्रवाद के नाम कैसे लोगों का बेवकूफ बनाती रही है। यह वजह है कि विपक्ष के गठबंधन का नाम इंडिया रख लेने पर बीजेपी विशेषकर प्रधानमंत्री अनाप शनाप बोले जा रहे हैं।
कभी वह ईस्ट इंडिया का नाम लेते हैं तो कभी इंडियन मुजाहिदीन और कभी पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया का नाम लेकर विपक्ष के इंडिया को टारगेट करते हैं। यह सब वह इसलिए कर रहे हैं क्योंकि अब वह नेहरू और गांधी परिवार को टारगेट कर कांग्रेस की आलोचना नहीं कर पाएंगे। जैसे कि विपक्ष के नेताओं के राष्ट्रवाद की आलोचना करने पर बीजेपी देश से जोड़कर लोगों की सहानुभति बटोर लेती थी। जैसे कि 2019 के चुनाव में पुलवामा आतंकी हमले को बीजेपी ने भुनाया ऐसे ही विपक्ष अपने नाम इंडिया को भुनाएगा। ऐसे में जितनी भी आलोचना विपक्ष की होगी उतना ही विपक्ष उसे देश से जोड़ देगा। ऐसे में बीजेपी के जितने भी राष्ट्रवाद के मुद्दे हैं उन पर विपक्ष का नाम ही भारी पड़ रहा है। मोदी भी तो विपक्ष की आलोचना से हाई लाइट हुए थे। ऐसे ही अब जितनी विपक्ष की आलोचना होगी उतना ही विपक्ष हाई लाइट होगा।
यही वजह है कि बीजेपी ने अब विपक्ष का गठबंधन इंडिया की वजह से संविधान के अनुच्छेद 1 में संशोधन कर इंडिया शब्द ही हटाने की रणनीति बनाई है। उत्तराखंड से बीजेपी सांसद ने नरेश बंसल ने राज्य सभा में मांग की है कि संविधान से इंडिया शब्द ही हटा दिया जाए। इसकी जगह भारत रखा जाये। नरेश बंसल का तर्क है कि इंडिया अंग्रेजों का दिया शब्द है। यह गुलामी का प्रतीक है। इसे अब हटा दिया जाये। जितने भी गुलामी के प्रतीक हैं वे सभी हटा दिए जाएं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि बीजेपी को यह इंडिया शब्द हटाने की याद अब विपक्ष के गठबंधन का नाम इंडिया रखने के बाद ही क्यों आई ? देश तो 1947 में आज़ाद हो गया था तो फिर अब 2023 में इसकी याद आई। दरअसल यह सब विपक्ष के गठबंधन का नाम इंडिया रखने से हो रहा है। अब देखना यह है कि इंडिया से भयभीत बीजेपी अब क्या क्या करती है।