Thursday, November 7, 2024
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MCD KPZ- केशवपुरम जोन – बुजुर्ग दम्पत्ति के घर के आगे सर्विस लाइन कब्ज़ा कर बना दी विशाल सीढ़ी ,नहीं सुन रहा नगर निगम

-दिल्ली दर्पण  ब्यूरो
  अशोक विहार। नगर निगम केशवपुरम जोन के अधिकारी कैसे प्रभावशाली लोगों के दबाव में अवैध निर्माण पर आँखें बंद कर लेते है अशोक विहार फेज -1 में यह फिर सामने आया है। अशोक विहार फेज -1 के D -1 के पीछे मकान मालिक ने पूरी सर्विस लेन पर ही कब्जा कर लिया।  इस सरकारी  जमीन पर इतनी विशालकाय सीढ़ी बना के एक आस पास के दो मकानों के गेट भी बंद हो गए और उनकी प्राइवेसी ही खतरें में पड़ गयी है। इस अवैध कब्जे और अतिक्रमण से पीड़ित एक बुजुग दम्पत्ति ने केशवपुरम जोन सहित तमाम अधिकारीयों से इसकी शिकायत की लेकिन नगर निगम के अधिकारी आँखे बन  किये हुए है और उस पर कोइ करवाई नहीं कर रहे है। अब यह बुजुर्ग दम्पत्ति स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लेकर सोशल वर्कर , मीडिया के माध्यम से गुहार लगा रहा है।

इस इस बुजुर्ग दंपति की मदद को  कुछ लोग आगे आये है। कुछ ने नगर निगम एक स्थानीय अधिकारियों की इस दादागिरी पर हैरान जताई  है और कुछ ने इसकी शिकायत नगर निगम को लिखित रूप में भी दी है। दिल्ली दर्पण टीवी और अपनी पत्रिका को भी बुजुर्ग दंपत्ति के नजदीकी रिश्तेदारों ने बुजुर्ग दम्पत्ति की मदद की गुहार लगाई है।
तमाम मौखिक और लिखित शिकायतों के साथ सोशल एक्टिविस्ट ने भी लिखित शिकायत दी है।  
वजीरपुर गांव के रमेश कर्दम ने इस शिकायती पत्र में आरोप लगाया है कि वार्ड 64 के अंतर्गत अशोक विहार फेज 1 की कोठी डी 1 के मालिक संजय वर्मा ने अपनी कोठी के पीछे गली में गैर क़ानूनी रूप से नगर निगम की जमीन पर बहुत बड़ी एक सीढ़ी बना ली है। रमेश कर्दम ने आरोप लगाया है कि यह स्थानीय नगर निगम के स्थानीय अधिकारियों से सांठ गांठ कर बनाया गया है। शिकायती पत्र में आरोप लगाया गया है कि स्थानीय अधिकारियों ने  लाखों रुपये की रिश्वत लेकर यह सब अवैध काम कराया है। उन्होंने इस शिकायती पत्र में यह भी लगाया गया है कि इस अवैध कब्जे की कई  बार मौखिक शिकायत दी गई है पर जेई ने कोई कार्रवाई नहीं की। दिल्ली नगर निगम प्रभावशाली लोगों के दबाव में है या यह रिश्वत के दबाव  में।  सवाल यह भी उठाये जा रहे है की इतना बड़ा अतिक्रमण को धड़ल्ले से कैसे कर सकता है ? इस बारें में दिल्ली नगर निगम अधिकारियों से भी सम्पर्क कर उनका पक्ष जानना चाहा लेकिन वे बात करने से बचते रहे। 
बहरहाल यह मामला इस बात को साबित करता है की दिल्ली नगर निगम में सत्ता बेशक बदल गयी हो लेकिन उसके काम करने का अंदाज नहीं बदला है।

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