मुख्य सचिव का मंत्री का आदेश न मानने के मायने ?
क्या आतिशी के पत्र का एलजी पर पड़ेगा कोई असर ?
दिल्ली दर्पण ब्यूरो
नई दिल्ली। क्या किसी प्रदेश में कोई मुख्य सचिव के मंत्रियों के आदेश को मानने की बात सामने आती है। नहीं न। पर डिल्ली में इस तरह का मामले हो रहे हैं। जी हां दिल्ली की सेवा एवं सतर्कता मंत्री आतिशी ने मुख्य सचिव पर सरकार का आदेश न मानने का आरोप लगाया है। बाकायदा उन्होंने उप राज्यपाल वीके सक्सेना को पत्र लिखकर मुख्य सचिव नरेश कुमार की शिकायत भी कर दी है।
दरअसल मंत्री ने मुख्य सचिव को नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी और दिल्ली सरकार के विभागों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने के लिए एक आदेश दिया था। इसके जवाब में मुख्य सचिव ने जीएनसीटीडी अमेंडमेंट एक्ट 2023 का हवाला देते हुए 10 पन्नों की चिट्ठी लिखकर मानने से इनकार कर दिया था। मतलब साफ़ है कि केंद्र सरकार चाहती है कि दिल्ली में ब्यूरोक्रेट्स और सरकार के बीच विवाद इतना बढ़ जाये कि केजरीवाल सरकार की फजीहत होती रही और दिल्ली के लोग केजरीवाल से नाराज हो जाएं। वह बात दूसरी है कि केंद्र सरकार और केजरीवाल सरकार के बीच टकराव के चलते दिल्ली की जनता पिस रही है।
यही वजह रही कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एलजी वीके सक्सेना की पावर दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल को मिलने के बाद केंद्र सरकार तुरंत अध्यादेश ले आई और फिर से प्रशासनिक पॉवर एलजी को सौंप दी। अब तो लोकसभा और राज्य सभा में बिल को पास कर राष्ट्रपति के पास कानून बनाने के लिए भेज दिया है। दिल्ली में ट्रांसफर पोस्टिंग की पॉवर एलजी के पास ही रहेगी। हालांकि केजरीवाल सरकार मामले को लेकर फिर से सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है।
यह दिल्ली का सेवा बिल ही है कि अब केजरीवाल अगला चुनाव दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के नाम पर लड़ा जाएगा। क्योंकि केजरीवाल भी जानते हैं कि अब उनके हाथ में कुछ रहने वाला नहीं हैं।