Friday, November 8, 2024
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Delhi : अशोक विहार में श्रद्धालुओं को बांध दे रही शिव महापुराण कथा 

सुप्रभात क्लब सोसायटी ने किया है खूबसूरत कार्यक्रम 

भोले के नाम की मेहंदी, भोले की बारात कार्यक्रम ने लूटी बहार 

लोगों को वर्तमान में जीना सिखा रहे : विपिन आहूजा 

दिल्ली दर्पण ब्यूरो 

नई दिल्ली। अशोक विहार फेस-1 में सुप्रभात सोशल क्लब सोसायटी ने शिवमहापुराण कथा का आयोजन किया है। 23 अगस्त से शुरू हो चुके इस कार्यक्रम में जहां शिव महापुराण की कथा का आयोजन किया जा रहा है वहीं भजन कीर्तन भी चल रहा है। संगठन से जुड़ीं महिलाएं भी कार्यक्रम में बढ़चढ़कर भाग ले रही हैं। शिवमहापुराण में बाकायदा कलश यात्रा और भोले के नाम की महेंदी और भोले की बारात कार्यक्रम किया गया। कार्यक्रम में कथा सुनने को भीड़ जुट रही है। सुप्रभात क्लब की महिलाओं ने कहा कि शिव महापुराण आध्यात्म आनंद की अनोखी कथा है। 

दरअसल उज्जैन के देवेंद्र शास्त्री की टीम ने इस कार्यक्रम में श्रद्धालुओं को बांध रखा है। 

  पहले दिन शुक्रवार 25 अगस्त को भजन सम्राट स्मार्ट शंकर साहनी ने कार्यक्रम प्रस्तुत किया तो  शनिवार 26 अगस्त को अनिल हंसलास ने, 27 अगस्त रविवार को अजय भाई ने। सोमवार 28 अगस्त को भोले की बारात का कार्यक्रम आयोजित किया गया। मंगलवार 29 अगस्त को पुनीत खुराना 30 को अमरजीत सिंह बिजली का कार्यक्रम है। 

दरअसल दिल्ली दर्पण टीवी से बातचीत करते हुए सुप्रभात क्लब सोसायटी के अध्यक्ष विपिन आहूजा ने कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी थी। उन्होंने बताया था  कि सुप्रभात क्लब लोगों को वर्तमान में जीना सीखा रहा है। उनका कहना था कि हर काम में पूरी तरह से सक्रिय हो जाना चाहिए। हम अपने को ऐसा बनाएं कि हर किसी को खुशियां दे सकें। 

उन्होंने बताया कि उन लोगों ने धार्मिक आयोजन कभी  कराये तो सुंदर काण्ड और जागरण भी कराएं। चौकी भी लगवाई। उन्होंने बताया कि मिशन चैरिटी लगातार काम कर रही है। कोरोना में 7000  हाइजेनिक फूड तैयार उसे बांटते थे। उन्होंने बताया कि सावन मास जो कि दो महीने का है। महादेव की प्रेरणा से यह सब हुआ है है।

दरअसल अगर आप शिव पुराण की कहानियों पर ध्यान दें, तो आप देखेंगे कि शिवमहा पुराण  में सापेक्षता के सिद्धांत, क्वांटम मैकेनिक्स के सिद्धांत – पूरी आधुनिक भौतिकी – को बहुत खूबसूरती से कंपनियों के  जरिये अभिव्यक्त किया गया है। यह एक तार्किक संस्कृति है, इसमें विज्ञान को कहानियों के जरिये व्यक्त किया गया था। हर चीज को साकार रूप दिया गया था। मगर बाद में जाकर लोगों ने विज्ञान को छोड़ दिया और बस कहानियों को ढोते रहे। उन कहानियों को पीढ़ी दर पीढ़ी इस तरह बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता रहा, कि वे पूरी तरह मूर्खतापूर्ण लगने लगीं। अगर आप उन कहानियों में फिर से विज्ञान को ले आएं, तो यह विज्ञान को अभिव्यक्त करने का एक खूबसूरत तरीका है।

शिव पुराण मानव प्रकृति को चेतना के चरम तक ले जाने का सर्वोच्च विज्ञान है, जिसे बहुत सुंदर कहानियों द्वारा किया गया है। योग को एक विज्ञान के रूप में व्यक्त किया गया है, जिसमें कहानियां नहीं हैं, लेकिन अगर आप गहन अर्थों में उस पर ध्यान दें, तो योग और शिव पुराण को अलग नहीं किया जा सकता। एक उनके लिए है, जो कहानियां पसंद करते हैं तो दूसरा उनके लिए है, जो हर चीज को विज्ञान की नजर से देखना चाहते हैं, मगर दोनों के लिए मूलभूत तत्व एक ही हैं।

आजकल, वैज्ञानिक आधुनिक शिक्षा की प्रकृति पर बहुत शोध कर रहे हैं। एक चीज यह कही जा रही है कि अगर कोई बच्चा 20 साल की औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद व्यावहारिक दुनिया में प्रवेश करता है, तो उसकी बुद्धि का एक बड़ा हिस्सा नष्ट हो जाता है, जिसे वापस ठीक नहीं किया जा सकता। इसका मतलब है कि वह बहुत ज्ञानी मूर्ख में बदल जाता है। 

वैज्ञानिकों का कहना है कि शिक्षा देने का एक बेहतर तरीका है, उसे कहानियों या नाटक के रूप में प्रदान करना। इस दिशा में थोड़ी-बहुत कोशिश की गई है, मगर दुनिया में ज्यादातर शिक्षा काफी हद तक निषेधात्मक रही है। जानकारी का विशाल भंडार आपकी बुद्धि को दबा देता है, जब तक कि वह एक खास रूप में आपको न दिया जाए। कहानी के रूप में शिक्षा प्रदान करना बेहतरीन तरीका होगा। इस संस्कृति में यही किया गया था। विज्ञान के सर्वोच्च आयामों को बहुत बढ़िया कहानियों के रूप में दूसरे लोगों को सौंपा गया।

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