केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा होंगे मुख्य अतिथि
झारखण्ड, छत्तीसगढ, ओडिशा और बिहार के जनजातीय समुदायों का है बहुत बड़ा पर्व है करम पर्व : मोहन बड़ाईक
राष्ट्रीय पर्व का दर्जा मिले करम पूजा महोत्सव को : रोजिना बक्कर
दिल्ली दर्पण ब्यूरो
नई दिल्ली। करम महोत्सव की पर मशाल सोशल वेल्फेयर सोसाईटी के संरक्षक युवराज बोध एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहन बड़ाईक के नेतृत्व में नई दिल्ली वाईएमसीए स्थित टूरिस्ट होस्टल सभागार में के बैठक हुई। बैठक में बताया गया कि करम पूजा महोत्सव को जनजातीय मंत्रालय एवं ट्राईफेड के सौजन्य से आयोजित की जा रही है तथा इस शुभ-अवसर पर कार्यक्रम में केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा बतौर मुख्य अतिथि शामिल होंगे।
बैठक में संगठन के राष्ट्रीय संरक्षक युवराज बोध ने कहा कि यह कार्यक्रम पूर्व केंद्रीय मंत्री सह लोक-सभा सांसद जुएल ओराम की अध्यक्षता में आयोजित होगा। मशाल सोशल वेलफेयर सोसाइटी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में विभिन्न जनजातीय आदिवासी पर्व त्यौहारों का आयोजन पिछले कई वर्षों से आयोजित करते आ रही है। संस्था द्वारा आदिवासी पारंपरिक कला संस्कृति को बढ़ावा देने का कार्य अत्यंत सराहनीय है। आज दिल्ली के अंदर विभिन्न प्रदेशों से आए लगभग 30 लाख आदिवासी समाज प्रवास करते हैं जो दिल्ली/एनसीआर के विभिन्न क्षेत्रों में प्रवास करते हैं।
संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहन बड़ाईक ने अपने संबोधन में कहा कि “करम पर्व मुख्यता झारखण्ड, छत्तीसगढ, ओडिशा और बिहार के जनजातीय समुदायों का बहुत बड़ा पर्व है”। आदिवासी समाज जल-जंगल-जमीन से जुड़ा हुआ है यह पर्व भादो महीने के एकादशी के शुक्ल पक्ष के दिन मनाई जाती है। महिलाएं करम देवता का व्रत-उपवास कर अपने घर की सुख समृद्धि तथा भाई की दीर्घायु हेतु उपासना करती हैं। एकादशी के दिन पहान द्वारा उपवास कर विधिवत रीति-रिवाज के अनुसार सूर्यास्त से पहले करम वृक्ष की डाल काट कर लाया जाता है। सूर्यास्त के बाद घर के आंगन में काट कर लाई गई करम डाल को स्थापित किया जाता है, उपासिन स्थापित करम डाल के चारों ओर बैठकर पाहन के द्वारा विधिवत रीति-रिवाज के साथ करम की कहानी सुनती हैं और पूजन करती हैं। पहान द्वारा करम कहानी सुनने के पश्चात पारम्परिक सांस्कृतिक नृत्य-गायन और वादन के साथ करम डाल की परिक्रमा करती हैं और यह सिलसिला रात भर चलता है ।
बैठक में संस्था की महासचिव श्रीमती रोजिना जी ने कहा कि करम पूजा महोत्सव को राष्ट्रीय पर्व का दर्जा मिलना चाहिए जिस प्रकार माननीय प्रधानमंत्री जी ने भगवान बिरसा मुंडा की जन्म दिवस को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की उसी प्रकार प्रेस के माध्यम से मैं माननीय प्रधानमंत्री जी से निवेदन करती हूं कि करम पूजा को राष्ट्रीय पर्व का दर्जा देने का कष्ट करते हुए राष्ट्र के नाम करम पूजा की शुभकामना देने की कृपा करें जिसके लिए समस्त आदिवासी समाज आपका श्रृणी रहेंगे।
सुबह विधिवत तरीके से स्थापित करम डाल को पारम्परिक रीति-रिवाज के साथ निकाला जाता है और नृत्य-गायन के साथ सभी उपासिन उसे नदी में विसर्जन के लिए लेकर जाते हैं ।
कार्यक्रम में देश के कई प्रदेशों से जनजातीय समाज के क्षेत्रीय कलाकार शामिल होंगे और अपनी पारंपरिक, सांस्कृतिक और कला का प्रदर्शन करेंगे उनमे मुख्यत: उराँव, मुंडा, खड़िया, संथाल, बोड़ो, हो, कादर, भील एवं चीक-बड़ाईक ईत्यादि शामिल होंगे। मुख्य आकर्षण: करम पूजा महोत्सव, रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं सिमडेगा टैलेंट शॉ 2019 की पहली विजेता एवं वॉइस ऑफ झारखण्ड की चयनित कलाकार कुमारी रानी बड़ाईक उपस्थित होंगी।
श्री मोहन जी ने कहा कि मशाल सोशल वेलफेयर सोसाइटी द्वारा आयोजित पूर्व संध्या करम पूजा महोत्सव में शामिल होने के लिए अन्य कई विशेष अतिथिगण सांसद, विधायक, समाजसेवी एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली एनसीआर में रह रहे समस्त जनजातीय समुदाय को आमंत्रित किया है जो रविवार को सुबह 10:00 बजे से सायं 06: बजे तक एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में होगा।
बैठक में उपस्थित सदस्यों में संरक्षक युवराज बोध, राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहन बड़ाईक, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आलोक मिचयारी, अभिषेक राठौर, धर्मेंद्र गाडियोक, मदन राय, श्री प्रदीप कन्नौजिया, महासचिव रोजिना बक्कर, श्रीमती प्रतिमा मिंज, गंगाराम गगराई, आयूब बक्कर ईत्यादि कई लोग शामिल हुए।