विपक्ष को भी अंधभक्त बनाना चाहते हैं पीएम मोदी
चरण सिंह राजपूत
ऐसे कैसे हो सकता है कि कोई व्यक्ति को तंत्र पीएम मोदी का विरोध नहीं करेगा। ऐसे कैसे हो सकता है कि संसद में विपक्ष समस्याएं नहीं उठाएगा, ऐसे कैसे हो सकता है विपक्ष सत्ता की किसी बात का विरोध नहीं करेगा। पर हमारे प्रधानमंत्री ऐसा चाहते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने मीडिया से बात करते हुए विपक्ष से ऐसे ही नहीं कहा कि वह विशेष सत्र में रोना धोना न करे। मतलब जो मोदी सरकार करें उसे सर झुकाकर स्वीकार कर ले। विरोध न करे। प्रधानमंत्री का रोना धोना का मतलब समस्याओं को उठाने से है। बेरोजगारी, महंगाई अडानी की बात न की जाये।
दरअसल प्रधानमंत्री चाहते हैं कि जैसे कि उनके अंधभक्त हैं कि वह कुछ भी करें वे उनका ही समर्थन ही करेंगे। ऐसा ही वह विपक्ष से भी चाहते हैं कि किसी बात में उनका विरोध न हो। प्रधानमंत्री ने आज पुरानी संसद के आखिरी दिन प्रेस से बात की और इसके अलावा संसद में भी 50 मिनट का भाषण दिया पर जनहित की कोई बात उन्होंने नहीं की। हां जैसे वह विपक्ष को धमकाते हैं। ऐसे ही उन्होंने इस बार भी विपक्ष को धमकाया। पीएम को मुद्दे पर बात नहीं करनी है। वह तो चाहते हैं कि खुले मैदान में दौड़ें और लोग उन्हें देखें। कोई उनका प्रतिद्वंदी न हो कोई उनका विरोध न करे।
दरअसल प्रधानमंत्री एक ओर बहस से बचते हैं तो दूसरी और मीडिया से बात करने से बचते हैं। आज भी जब सभी पत्रकार इस बात के लिए तैयार हो गए कि बस पीएम बोलेंगे कोई सवाल नहीं करेगा तो वह बोले। आज की तारीख में पीएम से सवाल करना या उनका विरोध करना मतलब अपराध करना है। आज की तारीख में वह नहीं चाहते कि कोई उनसे सवाल करे। यही वजह रही कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक कविता के माध्यम से कहा कि बदलने हैं तो हालात बदलो। नाम बदलने से क्या होगा। दरअसल प्रधान मंत्री यह चाहते हैं कि कोई तंत्र कोई व्यक्ति उनका विरोध न करे। कोई उनके काम में टोका टाकी न करे। बस वह जो करें सब माने।