-दिल्ली दर्पण ब्यूरो
दिल्ली में क्या राष्ट्रपति शासन होगा ? क्या दिल्ली नगर निगम भी भंग होगी ? दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के जेल जाने के बाद उठे संवैधानिक संकट के बाद यह कयास लगाए जा रहे है। लेकिन अब आम आदमी पार्टी ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस करके यह दावा कर दिया की बीजेपी दिल्ली की चुनी हुयी सरकार को गिराने की पूरी प्लानिंग कर चुकी है और उसी पर काम कर रही है। दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी ने चार उद्धरण देकर यह दावा किया।
आतिशी ने कहा की दिल्ली सरकार में अधिकारियों की जानबूझकर नियुक्ति नहीं की जा रही है ताकि कामकाज ठप हो जाये। दिल्ली के एलजी आये दिन दिल्ली सरकार को लेकर गृह मंत्रालय पत्र लिखकर टिप्पणी कर रहे है। दिल्ली के अधिकारी कोड ऑफ़ कडक्ट का ह हवाला देकर मीटिंग में नहीं आ रहे है। यह सब दिल्ली सरकार को गिराने की साजिश के तहत हो रहा है। दिल्ली के मुख्यमंत्री के निजी सचिव विभव को 20 साल पुराने मामले को लेकर करवाई की और उन्हें बर्खास्त किया। और अब दिल्ली में जानबूझकर संवैधानिक संकट पैदा कर दिल्ली सरकार को गिराने की कोशिश हो गयी है। दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने और दिल्ली नगर निगम को भंग किये जाने की संभावनाओं से दिल्ली में निगम पार्षद ज्यादा चिंतित है। उनकी चिंता यह है की वे पार्षद बेशक बन गए लें निगम के गठन के दो साल बाद भी दिल्ली नगर निगम की स्थाई समिति सहित तमाम समितियों का गठन हुआ और ना ही जोन कमेटियों का ही गठन हुआ है। दिल्ली में नगर निगम पार्षद अपने अपने क्षेत्र में कोई ज्यादा काम भी नहीं कर पाए। ऐसे में यदि नगर निगम भंग हुआ तो पता नहीं कब तक यह स्थिति बनी रहेगी। पता नहीं कब चुनाव होंगे। और अगर चुनाव हुए तो पता नहीं किसकी टिकट कटेगी ,और कौन हारेगा और कौन जीतेगा। इस तरह का डर आम आदमी पार्टी ही नहीं बल्कि बीजेपी और कांग्रेस में भी है। दरअसल दिल्ली के मुख्यमंत्री जेल से ही सरकार चलने पर अड़े हुए है। ऐसे में बीजेपी दबाव बना रही है कि वे अपने पद से इस्तीफा दें और अपनी किसी भी नेता को मुख्यमंत्री बना दें। ऐसे में जानकार मान रहे है की जेल से सरकार चलना व्यवहारिक नहीं है।
दिल्ली नगर निगम के मेयर चुनाव 26 अप्रैल को होने है। इसकी फाइल निगम सचिव , एमसीडी मेयर और आयुक्त से होती हुयी यूडी मिनिस्टर के पास है। अब यह मुख्यमंत्री के पास जायेगी। मुख्यमंत्री द्वारा फाइल पास करने के बाद एलजी पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति करेंगे। लेकिन यहाँ संकट यह है की मुख्यमंत्री जेल में है और जेल में सरकारी फाइल आने जाने में व्यावहारिक दिक्कत है। जेल मैनुअल इसकी इजाजत नहीं देते। यानी सरकारी फाइल चाहे वह निगम चुनाव की हो या फिर दिल्ली सरकार से जुड़े किसी फैसले की। अधिकारी फाइल को बिना पढ़े जेल लसे बहार और अंदर नहीं आने देंगे। लेकिन यह गुप्त दस्तावेज यही और जेल अधिकारी इसे पढ़ नहीं सकते। यही वजह है की यदि केजरीवाल इस्तीफा नहीं देते है और जेल से सरकार चलाने की जिद्द करते है तो संवैधानिक संकट पैदा हो जायेगा और एलजी ग्रह मंत्रालय को राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुशंसा कर सकतें है। ऐसे में दिल्ली में राष्ट्रपति शासन का रास्ता साफ़ हो सकता है। बहरहाल दिल्ली विधायकों को बेशक ज्यादा फर्क न पड़ता हो लेकिन दिल्ली नगर निगम के पार्षद चिंतिति है। ऐसे में यदि आम आदमी पार्टी पर मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के इस्तीफे का दबाव बनाये तो हैरानी नहीं होनी चाहिए।