Kirari – दिल्ली सरकार के दावे फेल ! सेप्टिक टैंक में गई जान, दो मरे तीन घायल
किराड़ी विधानसभा के भाग्य विहार इलाके में लगी लोगों की भीड़ और पुलिस का मजमा यह बताने को काफी है कि यहाँ कुछ तो गड़बड़ हुआ है। पूछने पर महिलाओं ने बताया कि रोटी तलाश में सुबह घर से निकले दो मजदुर, दोपहर तक जिंदगी से इतनी दूर चले गए कि अब उनका वापस लौटना नामुमकिन हो गया है , वहीँ तीन अभी भी उस राह में अटके हुए हैं। हलांकि उन्हें भी यह तब ही पता चला जब साइरन घनघनाती हुई पुलिस की जिप्सी वहां आई और एक के बाद एक पांच बेजान से हो चुके शरीरों को एम्बुलेंसों में भर कर ले गई ।
भाग्य विहार का ये वही मनहूस मकान है जहां रमजान के पहले दिन पाक और नापाक के बीच के महीन से फर्क की नासमझी से दो औरतों का सुहाग उजाड़ गया और कई बच्चों के सर से बाप का साया। स्थानीय लोगों की माने तो यह एक पुराना मकान है जिसे तोड़कर दोबारा बनाया जा रहा था। इसी सिलसिले में मकान के पुराने सेप्टिक टैंक को साफ़ करने के लिए एक के बाद एक पांच मजदुरबबलू, गणेश, शेर सिंह, राम सिंह, लम्बू टैंक के अंदर गए, जब वे टैंक के अंदर जा रहे थे तब उनमे से किसी को भी इस बात का अंदाजा तक नहीं था कि जिसे वो अपने बच्चों की रोटी समझ रहे हैं वो दरअसल मौत के दलदल है । मकान के इसी सेप्टिक टैंक में उतरने के बाद भी पांचों में से जब कोई भी बाहर नहीं निकला तो भी मालिक मकान ने न तो उनकी मदद की और न ही उनकी मदद के लिए किसी को बुलाया। जबतक कोई उनकी मदत को आता तब तक गणेश और लम्बू की सांसे उनका साथ छोड़ चुकी थी
फ़िलहाल शेष तीन घायलों को संजय गाँधी मेमोरियल अस्पताल पहुंचा दिया गया है, जहाँ उन्हें आईसीयू में दाखिल कराया गया है, डॉक्टरों की माने तो उनकी हालत अभी गंभीर बनी हुई है। साथ ही गंभीर बनी हुई है भाग्य विहार की स्थिति, क्योंकि स्थानीय लोग लम्बू और गणेश की मौत का जिम्मेदार सीधे तौर पर मालिक मकान को मान कर न्याय की मांग कर रहे हैं। ऐसे में देखने वाली बात ये होगी कि लोगों के ये जज्बात क़ानूनी दाव पेंच से लड़ता हुआ कितनी दूर तक जा पाता है।