कहते हैं कि बच्चे अपने माता पिता को देखकर ही सीखते हैं। जो वो सीखते हैं, वही जीवन भर समाज में दोहराते हैं। अगर ये सच है तो आप अपने बच्चों को क्या सीखा रहे हैं। क्या आप चाहते हैं कि आपका बच्चा बड़ा हो कर ट्रैफिक नियमों की अवहेलना करता हुआ हादसे का शिकार हो जाए। अगर नहीं तो अगली बार अपने बच्चे को दो पहिया या चारपहिए पर बिठाते समय याद रखिएगा, कोई आपको देखकर जीवन की राह पर चलना सीख रहा है।
गौर से देखिए इस विडिओ को, जिसमे महज चार सेकेण्ड में मौत ने एक दादा की आगोश से उसके एलकेजी में पढ़ने वाले पोते को छीन लिया। ये वीडिओ है तो जालंधर का, लेकिन अपने दिल पर हाथ रख कर सोचिए कीजिए, क्या यह दुर्घटना आपके साथ नहीं हो सकता। आप भी ऐसी ही कुछ स्थिति से कई बार बाल बाल बच चुके हैं न। रोजमर्रा की भागमभाग में बच्चों को स्कूल ले जाना और लाना भी पहाड़ से भी बड़ा काम बन गया। जिसे जल्दी से जल्दी उतारने में रोजाना ही हम हेलमेट न पहनकर, सीट बेल्ट न लगा कर, एक दोपहिया पर बैग के साथ दो दो तीन तीन बच्चे बिठाकर, रेड लाइट जम्प कर, आड़े तिरछे और तेज चला कर अपने साथ उनकी जिंगदी भी न सिर्फ दाव पर लगा देते हैं बल्कि कई बार तो स्टंट के चक्कर में उन्हें मौत के मुहाने तक भी लेकर चले जाते हैं।