Friday, October 18, 2024
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रोहिणी के निजी स्कूल के बाहर प्रर्दशन, स्कूल फीस को लेकर 3 दिनों से खड़े है अभिभावक|

– डी इंडियन पब्लिक स्कूल के बहार अभिभावकों का प्रर्दशन
– स्कूल प्रिंसिपल की सफाई , हमने फीस के लिए कोई दबाव नहीं बनाया

पुनीत गुप्ता , दिल्ली दर्पण टीवी

रोहिणी, नई दिल्ली।।  कोरोना काल में सबसे नाजुक रिश्ता स्कूल और अभिभावकों के बीच में उभर कर आया है। आये दिन दिल्ली के किसी न किसी निजी स्कूल के बाहर आप अभिभावकों को पोस्टर और तख्तियां पकडे प्रर्दशन करते हुए देख सकते है। स्कूलों ने ऑनलाइन क्लासेज शुरू की उसके बाद फीस का दौर भी शुरू हुआ लेकिन अभिभावक फीस में रियायत चाहते है। अभिभावकों का कहना है। ऑनलाइन क्लासेस सिर्फ खानापूर्ति है और इसके ऐवज में स्कूल कई तरह की फीस और भी मांग रहा है।  यह शिकायतें दिल्ली के ज्यादातर निजी स्कूलों के अभिभावकों की है।

रोहिणी के सेक्टर 24  में स्थित ‘डी इंडियन पब्लिक स्कूल’ के बाहर  3  दिनों से अभिभावकों ने प्रर्दशन किया हुआ है। मसला फीस से ही जुड़ा है। अभिभावक रोज़ सुबहः स्कूल के बाहर पोस्टर लेकर खड़े होते है। अपनी मांगो को लेकर नारे भी लगाते है। स्कूल प्रशाशन से मिलने की कोशिश भी करते है, लेकिन अभिभावकों का कहना है की मांगे पूरी नहीं हो रही।

स्कूल के बाहर खड़े अभिभावकों से दिल्ली दर्पण टीवी ने बात की तो अभिभावकों में से एक रमिंदर कौर ने बताया की लॉक डाउन की वजह से वित्तीय नुकसान बहुत हुआ है। हम किराया दे, घर चलाएं या 10  हज़ार की फीस जमा करें, स्कूल से यही गुजारिश है की सिर्फ ट्यूशन फीस ली जाये।
अभिभावकों में से एक गौरी शंकर ने कहा की फीस न भरने पर स्कूल अब बच्चो को ऑनलाइन क्लासेज के लिए भी मना कर रहा है जबकि शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने भी साफ़ किया है की फीस की वजह से कोई भी स्कूल बच्चो को ऑनलाइन क्लासेज के लिए मना नहीं कर सकता।

अभिभावक पियूष कुमार सिंह ने कहा की दिल्ली के सभी अभिभावकों का प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से निवेदन है की स्कूलों से हमे राहत दिलवाएं। हमने हमेशा स्कूल को सपोर्ट किया है।लेकिन इस वक्त स्कूल के सपोर्ट की हमे जरुरत है। ऐसे में स्कूल को नैतिक कदम उठाने चाहिए, स्कूल हमे मेल कर रहा है की अगर आप फीस नहीं दे पा रहे है, तो आप अपने बच्चे का स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट लेजा सकते है।

हालाँकि दिल्ली दर्पण टीवी ने स्कूल की प्रिंसिपल सीमा अवस्थी से भी बात की उन्होंने कहा, “अभिभावकों के सभी आरोप गलत है। हमने फीस का कोई दबाव अभिभावकों पर नहीं बनाया है। हमने किसी भी बच्चे को ऑनलाइन क्लासेज के लिए मना नहीं किया। फिर चाहे उसकी फीस आयी हो या न आयी हो।”  

प्राइवेट स्कूल को कोई सरकार से मदद नहीं मिलती है। ऐसे में स्कूल के भी खर्चे है। शिक्षकों को भी सैलरी देनी है। अगर फीस नहीं आएगी तो सारा सिस्टम ही चरमरा जायेगा। हमने डिपार्टमेंट ऑफ़ एजुकेशन के निर्देश के अनुसार ही फीस मांगी है। हम अभिभावकों से बात करना चाहते है। लेकिन, अभिभावक ग्रुप में बात करना चाहते है। लेकिन स्कूल प्रशाशन  कोरोना के चलते ग्रुप में बात नहीं कर सकता। हम किसी भी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट रहे है।

कोरोना काल में स्कूल और अभिभावकों का रिश्ता कमजोर होता दिख रहा है।  यह कहानी कोई एक स्कूल की नहीं है। दिल्ली के कई निजी स्कूलों के बाहर अभिभावक फीस को लेकर अपना विरोध जता रहे है। अभिभावको का कहना है की वित्तीय नुक्सान की वजह से वो स्कूल की एक्स्ट्रा फीस नहीं दी सकते। तो वहीँ स्कूल की अपनी दलील है की वित्तीय नुक्सान तो स्कूल का भी हुआ है। स्कूल ने कई महीने शिक्षकों को अपनी तरफ से ही सैलरी दी है।  लेकिन स्कूल को आगे चलाने के लिए फीस स्कूल के लिए जरुरी है।  

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