शिवानी मोरवाल, संवाददाता
नई दिल्ली।। देश में बढ़ते कोरोना को देखते हुए इस साल मार्च में ही पूरे देश को लॉकडाउन के तहत बंद कर दिया गया था। लॉकडाउन के चलते बाजार हो या शिक्षा संस्थान सभी प्रकार की अधिकतर सेवाएं बंद हो गई थीं पर जब देश की स्थित थोड़ी ठीक हुई तो ऑनलाक शुरू हुआ, जिसमें धीरे-धीरे पहले सार्वजनिक परिवहन को खोला गया फिर बाजारों के साथ ही दिल्ली मैट्रो को भी खोलने की अनुमति दी गई पर सभी तरह के शिक्षा संस्थानों को खोलने की अनुमति अभी तक नहीं मिली है।
इससे अब बच्चों की पढ़ाई पर भारी नुकसान पड़ने लग गया और खासतौर पर मार्च में होने वाले बॉर्ड एग्जाम पर साफ साफ असर देखा जा रहा है क्योंकि दिसंबर और जनवरी के महीने बोर्ड एग्जाम वाले छात्रों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इसी के चलते जब 10 क्लास के बच्चों से पूछा गया कि अब कैसा है कोरोना के समय पढ़ाई का हाल, तो उनका साफ तौर पर कहना था कि कोरोना की वजह से पढ़ाई पर तो असर पड़ा ही है पर सवाल यह है कि आने वाले बॉर्ड एग्ज़ाम हम कैसे देंगे क्योंकि हमारे इस बार पहले बोर्ड एग्ज़ाम है और हमें यह ही नही पता कि किस तरह से हमें एग्ज़ाम देना है क्योंकि अभी तक हम कोरोना काल में ना ही स्कूल गए और ना ही कोचिंग संस्थान।
जाहिर है बच्चों के साथ बातचीत से ऐसा लगता है कि अब सरकार को शिक्षा की ओर ध्यान देना चाहिए क्योंकि बोर्ड एग्ज़ाम कहीं ना कहीं भविष्य पर भी असर डालता है। इसी कड़ी में और कुछ छात्रों से पूछा गया कि क्या अब सरकार को शिक्षा पर भी ध्यान देना चाहिए तो उनका जवाब यही था कि जब हजारों की तादाद में किसानों को प्रदर्शन करने की अनुमति मिल सकती है तो ऑड.इवन का नियम चला कर हमें पढ़ाई करने की अनुमति क्यों नहीं मिल सकती क्योंकि आनलॉक में हर तरह के अधिकतर व्यापार को खोलने की अनुमति मिल गई है पर अभी भी कोंचिग संस्थान बंद है।
सरकार स्कूल ना खोले पर थोड़े दिनों के लिए जरुर कोचिंग खोल दें जिससे हम अपनी थोड़ी बहुत पढ़ाई कर सकें क्योंकि ऑनलाईन पढ़ाई से हम अच्छे अंक से नहीं पास हो पाएंगे।बच्चों से की गई बातों से तो ऐसा ही लगा कि बच्चे आने वाले बोर्ड एग्ज़ाम को लेकर काफी तनाव में हैं क्योंकि उनका यह साल कहीं ना कहीं उनके भविष्य पर बहुत ही बुरा असर डालने वाला है पर अब सच में बच्चों ने सरकार के सामने ये सवाल जरुर खड़ा कर दिया है कि इस बार कैसे होंगे बॉर्ड एग्ज़ाम।