Friday, November 22, 2024
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दिल्ली विधानसभा में पास हुआ कृषि कानूनों को निरस्त करने का प्रस्ताव

नेहा राठौर

दिल्ली विधानसभा का मानसून सत्र आज यानी शनिवार को समाप्त हो गया है। सत्र के आखिरी दिन विधानसभा ने कृषि कानूनों को निरस्त करने का प्रस्ताव पारित कर दिया है। इस प्रस्ताव को सदन में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के विधायक जरनैल सिंह ने रखा था।

600 किसानों की हुई मौत-जरनैल सिंह

सदन में इस प्रस्ताव को लेकर जरनैल सिंह ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि किसान पिछले आठ महीने से धरने पर बैठे हैं। इस दौरान 600 से ज्यादा किसानों की मौत भी हो चुकी है, लेकिन प्रधानमंत्री की ओर से अभी तक उन लोगों के लिए संवेदना व्यक्त नहीं की गई। उन्होंने कहा कि किसानों ने सुसाइड नोट लिखकर आत्महत्या की है।

उनकी योजना सभी किसानों से उनकी जमीन छीनकर उन्हें राशन की दुकान पर लाइन में लगाना है। सिंह ने आगे कहा कि बिल को राज्यसभा में किस तरह से पास किया गया। यह सभी ने देखा है। इस सिस्टम पर मुझे शर्म आती है जो अपने ही लोगों के बारे में नहीं सोचता है। इतना ही नहीं कृषी कानून के खिलाफ देश की महिलाओं ने पहली बार जंतर-मंतर पर संसद भी लगाई। ये सदन सिफारिश करता है कि केंद्र सरकार इस मामले पर किसानों से बात करे।

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पीएम मोदी के शासन में कृषि उत्पादन बढ़ा- रामवीर सिंह

वहीं इस पर विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के विधायक और नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि जो तीन कृषि कानून पास किये गए हैं उनमें एक कानून को दिल्ली सरकार ने भी स्वीकृति दी थी। उन्होंने कहा कि इन कानून से कृषि उत्पादन बढ़ेगा, मंडी में उत्पादन बढ़ेगा और किसान समृद्ध होंगे। जब से नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद संभाला है तब से कृषि उत्पादन बढ़ा है, आय दोगुनी हो गई है। सिंह ने कहा कि मेरी मांग है कि ग्रामसभा की जमीन पर कोई इंडस्ट्री डेवलप करके व्यापार न करे।

सदन में विपक्ष के नेता ने किसानों के क्लायण के लिए पीएम मोदी की ओर से शुरू की गई योजनाएं गिनाईं और कहा कि उन्हें दिल्ली में लागू किया जाना चाहिए साथ ही किसान को फ्री बिजली और कृषि उपकरण की खरीद पर सब्सिडी दी जाए। इस का जवाब देते हुए मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि किसान कह रहे हैं कि उन्हें ये कानून नहीं चाहिए। फिर भी केंद्र सरकार इन्हें जबरदस्ती लागू कर रही है। बता दें कि अभी तक किसी भी नेता प्रतिपक्ष ने एक भी कानून की तारीफ नहीं की है सिर्फ जुमले ही कहे हैं। जैन ने कहा कि ये सारे कानून सिर्फ बड़ी-बड़ी कंपनियों के लिए बनाए गए हैं। मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हुं कि केंद्र सरकार को बिना किसी शर्त इन कानूनों को वापस ले लेना चाहिए।

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