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ईशा प्रतिहस्त
नई दिल्ली। आज देश भर में महावीर जयंती मनाई जा रही है| महावीर जयंती जैन धर्म का सबसे बड़ा पर्व है | हिंदू पंचांग के अनुसार, जैन धर्म के 24वें तीर्थकर महावीर स्वामी का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को 599 ईसवी पूर्व बिहार के लिच्छिवी वंश के महाराज सिद्धार्थ और महारानी त्रिशला के घर पर हुआ था। महावीर स्वामी के बचपन का नाम वर्धमान था। तीस वर्ष की आयु में महावीर ने संसार से विरक्त होकर राज वैभव त्याग दिया और संन्यास धारण कर आत्मकल्याण के पथ पर निकल भगवान महावीर ने पांच सिद्धांत बताए, जो समृद्ध जीवन और आंतरिक शांति की ओर ले जाते हैं। यह सिद्धांत हैं- अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह, हैं ! इस साल 14 अप्रैल, गुरुवार को महावीर जयंती मनाई जाएगी।
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महावीर जयंती का महत्व
भगवान महावीर ने केवल 12 साल की उम्र में कठिन तपस्या से ज्ञान प्राप्त किया और 72 वर्ष की आयु में उन्हें पावापुरी से मोक्ष की प्राप्ति हुई | इस दौरान महावीर स्वामी के कई अनुयायी बने जिसमें उस समय के प्रमुख राजा बिम्बिसार, कुनिक और चेटक भी शामिल थे | जैन समाज द्वारा महावीर स्वामी के जन्मदिवस को महावीर-जयंती तथा उनके मोक्ष दिवस को दीपावली के रूप में धूम धाम से मनाया जाता है | महावीर जयंती के अवसर पर जैन धर्मावलंबी प्रात: काल प्रभातफेरी निकालते हैं. उसके बाद भव्य जुलूस के साथ पालकी यात्रा निकालते हैं उसके बाद भव्य जुलूस के साथ पालकी यात्रा निकालते हैं. इसके बाद स्वर्ण और रजत कलशों से महावीर स्वामी का अभिषेक किया जाता है तथा शिखरों पर ध्वजा चढ़ाई जाती है. जैन समाज द्वारा दिन भर कई धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करके महावीर का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है |
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