ग्रामीण के मुकाबले शहरी क्षेत्रों के लोगों पर मधुमेह का ज्यादा प्रभाव, गौतमबुद्धनगर में शहरी क्षेत्रों के 13.2 प्रतिशत लोग इस बीमारी के शिकार, इस वर्ष की थीम है “मधुमेह देखभाल तक पहुंच”
दिल्ली दर्पण टीवी ब्यूरो
नोएडा। अनियमित दिनचर्या, सही खान-पान न होना, फास्टफूड का अधिक सेवन, व्यायाम न करना, तनाव, उच्च रक्तचाप मधुमेह होने का कारण है। आजकल की इसी वजह से युवा पीड़ी भी मधुमेह की चपेट में है। शारीरिक श्रम कम और मानसिक तनाव ज्यादा होने के कारण मधुमेह का रोग अपना दायरा बढ़ाता जा रहा है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (एनएफएचएस-5) के मुताबिक उत्तर प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों के मुकाबले शहरी क्षेत्रों में मधुमेह का प्रतिशत अपेक्षाकृत ज्यादा है। प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में महिलाओं में मधुमेह का प्रतिशत 11.3 जबकि ग्रामीण क्षेत्र में 9.6 है। वहीं शहरी क्षेत्र के 13.2 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्र के 11.1 प्रतिशत पुरुष मधुमेह के शिकार हैं। एनएफएचएस-4 के मुताबिक गौतमबुद्धनगर की शहरी क्षेत्र की 11.3 प्रतिशत, ग्रामीण क्षेत्र की 9.6 प्रतिशत महिलाएं, जबकि शहरी क्षेत्र के 13.2 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्र के 11.1 प्रतिशत पुरुष मधुमेह के शिकार हैं।
जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डा. प्रदीप शैलत मधुमेह की बढ़ती बीमारी के लिए सीधेतौर पर अनियमित दिनचर्या, खान-पान व कम शारीरिक श्रम को जिम्मेदार मानते हैं। डा. शैलत ने कहा ग्रामीण क्षेत्र की अपेक्षाकृत शहरी क्षेत्र में ज्यादा लोग मधुमेह के शिकार हैं, इसका स्पष्ट कारण शारीरिक श्रम का कम या बिल्कुल नहीं होना है। शहरी क्षेत्र के लोग व्यायाम के प्रति बहुत लापरवाह हैं। मानसिक तनाव और खान—पान सहीं नहीं होना, फास्टफूड का अधिक सेवन शहरी क्षेत्र में मधुमेह का बड़ा कारण बनता जा रहा है। इन दिनों प्रदूषण के कारण लोगों को सुबह-शाम टहलना भी कम हो गया है।
डा. शैलत ने बताया जब शरीर इंसुलिन नहीं बनाता है तो व्यक्ति मधुमेह से पीड़ित हो जाता है। मधुमेह होने पर ग्लूकोज शरीर की कोशिकाओं में न जाकर रक्त में रहता है। बढ़ा हुआ ब्लड शुगर का स्तर आंखों को क्षति, किडनी को क्षति, हृदय रोग आदि जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है। यदि मधुमेह का उपचार नहीं किया तो गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है।
मधुमेह के प्रकार
टाइप 1 मधुमेह- डा. शैलत के अनुसार- यह तब होता है जब शरीर में पैंक्रियास इन्सुलिन नहीं बना पाते। इस प्रकार के मधुमेह के उपचार में इंसुलिन की जरूरत पड़ती है।
टाइप-2 मधुमेह- वर्तमान समय में मधुमेह का सबसे आम प्रकार माना जाता है। इसमें पैंक्रियास पर्याप्त मात्रा में इन्सुलिन नहीं बना पाते हैं, इस वजह से रक्त में ग्लुगोज की मात्रा बढ़ जाती है। इसकी मुख्य वजह है मोटापा और ज्यादा मीठा या ऐसा खाना जिससे शरीर में ग्लुगोज की मात्रा बढ़ती या मोटापा बढ़ता है। मधुमेह का यह प्रकार भी कई जोखिमों को बढ़ा सकता है, लेकिन इसे आहार में और जीवनचर्या में बदलाव करके आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
मधुमेह के शुरुआती लक्षण
भूख और प्यास बढ़ना
बार-बार पेशाब आना और मुंह सूखना
थकान और वजन में कमी आना
सिरदर्द और चिड़चिड़ापन
घाव देर से ठीक होना
दृष्टि धुंधली होना
हाथ या पैर में झुनझुनी या सुन्नपन
कामेच्छा में कमी और यौन रोग, पुरुषों में कम टेस्टोस्टेरोन
हर वर्ष 14 नवम्बर को विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है। लगातार मधुमेह रोगियों की संख्या में बढ़ोतरी को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय मधुमेह संघ एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1991 में संयुक्त रूप से मधुमेह के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल विश्व मधुमेह दिवस आयोजित करने का फैसला किया था। हर साल विश्व मधुमेह दिवस की थीम निर्धारित की जाती है। इस वर्ष की थीम एक्सेस टू डायबिटीज केयर यानि “मधुमेह देखभाल तक पहुंच” है।
गर्भावस्था में मधुमेह होने पर ध्यान रखने की जरूरत : डा. मीरा पाठक
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र भंगेल की वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. मीरा पाठक कहती हैं गर्भावस्था के दौरान महिला को कई शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता हैं, जिसमें से गर्भावस्थाजन्य मधुमेह भी है। मधुमेह का यह प्रकार केवल गर्भवती महिलाओं को होता है। ऐसा उस समय होता है जब इन्सुलिन बनना कम हो जाता है। ऐसा कई कारणों से हो सकता है। कम सक्रिय होना, एक जगह बैठे रहना, चिंता, ज्यादा मीठा खाना, दवा का ज्यादा सेवन आदि। ऐसी स्थित महिला के साथ-साथ उसके होने वाले बच्चे को भी प्रभावित कर सकती है, लेकिन समय पर उचित उपचार से कुछ ही दिनों में इससे छुटकारा पा लिया जाता है।
डा. पाठक का कहना है कुछ मामलों में उम्र बढ़ने के साथ मां या बच्चे को बाद में टाइप 2 मधुमेह होने की आशंका बनी रहती है। कई मामलों में इसकी वजह से समय से पहले बच्चे का जन्म भी हो सकता है, हालांकि समय से पहले बच्चे के जन्म होने के और भी कई कारण हो सकते हैं। उन्होंने बताया गर्भावस्था में मां को मधुमेह होने की स्थिति में या तो बच्चा कम वजन का 2.50 किलोग्राम से कम का पैदा होता है या अत्यधिक वजन चार किलोग्राम से से ज्यादा वजन वाला। दोनों ही स्थिति ठीक नहीं है। ऐसे बच्चों को जन्म के बाद अचानक ब्लड शुगर कम होने की वजह से दिक्कत हो सकती है। उन्होंने बताया गर्भावस्था में मधुमेह होने से गर्भपात, शिशु में विकृति, आखिरी तीन महीनों में गर्भस्थ शिशु की मृत्यु तक होने का खतरा रहता है। शुरुआत में मधुमेह का उपचार केवल खानपान पर ध्यान रख कर हो सकता है, लेकिन ज्यादा दिन होने पर इंसुलिन तक की जरूरत पड़ सकती है।
डा. मीरा पाठक ने बताया सीएचसी पर आने वाले इस तरह की गर्भवती, जिनकी पिछली गर्भावस्था में गर्भपात हुआ हो, बच्चा विकृत पैदा हुआ हो, या ज्यादा वजन वाला हुआ हो, उनकी ब्लड शुगर की स्क्रीनिंग की जाती है। उच्च जोखिम गर्भावस्था वाली महिलाओं को नियमित जांच करानी चाहिए और प्रसव भी संस्थागत ही कराना चाहिए।