चुनाव आते ही आरक्षण का मुद्दा किसी न किसी बहाने जरूर उठाया जाता है और इसी मुद्दे ने लोगों को जातियों में बांटकर मानो एक दुसरे का दुश्मन बना दिया है। आज के पढ़े लिखे युवा भी ये मानते हैं की राजनीति के शिकार लोग ही आरक्षण नामक जंजाल में पड़ कर अपना समय और ऊर्जा नष्ट करते हैं। दिल्ली दर्पण टीवी ने नॉएडा और गाज़ियाबाद में कॉलेज स्टूडेंट्स से बातचीत की और आरक्षण पर उनके विचार पूछे। तो देखा अपने , ज्यादातर स्टूडेंट्स इस पक्ष में है की आरक्षण का आधार जाति नहीं बल्कि आर्थिक स्थिती होनी चाहिये। नीतिगत बदलाव की जरूरत को सभी मानते हैं लेकिन इसको धरातल पर लाने के लिये जिस राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है वो कहीं न कहीं सरकार में बैठे नेताओं में नदारद ही दिखती है।
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