Friday, November 8, 2024
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सुषमा स्वराज के जीवन की 10 बड़ी बातें…

पूर्व विदेश मंत्री और भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज अब इस दुनिया में नहीं रहीं। सुषमा स्वराज के निधन की खबर से पूरा देश दुखी है। लेकिन आज हम आपको बताएंगे वो 10 बातें जिनके लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।

सादगी – सुषमा स्वराज का सियासी करियर करीब 42 साल का था। उन्होंने 1977 में हरियाणा में विधानसभा का पहला चुनाव लड़ा और जीतीं। तब से लेकर वो कई पदों पर रहीं। लेकिन इतने लंबे समय में उनकी सादगी हमेशा कायल करने वाली रही. वो हर किसी से अपनत्व से मिलती थीं। उनकी बातें सुनती थीं।

ओजस्वी वक्ता- जब वो अम्बाला में कॉलेज में पढ रही थीं, तभी कॉलेज की भाषण प्रतियोगिताओं में उनकी खास बोलने की शैली लोगों को प्रभावित करती थीं। इसके बाद जब वो चंडीगढ़ में कानून की पढाई करने पहुंचीं तो उनकी भाषण कला में और निखार आया। यहीं वो स्टूडेंट पॉलिटिक्स में कूदीं। उनके ओजस्वी भाषण लोगों को प्रभावित करते थे. इसके बाद लगातार सियासत में जब वो आगे बढ़ती गईं तो उनके भाषणों की भी धाक जमती गई।

मेहनती- सुषमा स्वराज ने हमेशा अपने लंबे राजनीतिक करियर में यही सिखाया कि कहीं कोई शार्टकट नहीं होता. जिस भी मुकाम पर पहुंचना हो उसके लिए पर्याप्त मेहनत करनी होती, ये उन्हें पग-पग पर सिखाया भी. चाहे वो दिल्ली में मुख्यमंत्री रही हों या फिर अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री या यूपीए-एक में विदेश मंत्री, उनके बारे में हमेशा कहा जाता था कि वो लंबे समय तक आफिस में रहती थीं.।

आत्मविश्वास- सुषमा स्वराज ने जब हरियाणा विधानसभा के लिए अपना पहला चुनाव लड़ा, तो मतदाताओं को उन्होंने अपनी कम उम्र के बाद भी आत्मविश्वास से प्रभावित किया। वो जनता पार्टी के टिकट पर चुनी गईं। उस समय उनकी उम्र केवल 25 साल की थी।

मीडिया को डील करना- जब 1992 में बाबरी मस्जिद ध्वंस हुआ तो उस समय वो भारतीय जनता पार्टी की प्रवक्ता थीं. उस समय मीडिया को डील करना आसान नहीं था, लेकिन जिस तरह सुषमा मीडिया से मुखातिब होती थीं, उससे उनकी अपनी पार्टी के सीनियर लीडर भी उनके कायल हो गए.

तुरंत कार्रवाई- जिसने विदेश मंत्री के रूप में उन्हें देखा है और उनके काम को देखा है, वो हर शख्स कहता है कि अगर वो कभी उनके पास किसी काम के लिए गया है तो वो उस पर तुरंत कार्रवाई करती थीं. ट्विटर पर जो भी शख्स मैसेज भेजता था, वो चाहे देश का नागरिक हो या फिर विदेश का-उस पर वो तुरंत हरकत में आती थीं.

व्यक्तित्व – सुषमा का व्यक्तित्व ऐसा था कि कोई भी उनके संपर्क में आकर उनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रहता था. इसलिए हर पार्टी का नेता या आमजन भी जो उनसे एक बार मिल लेते थे, उनसे प्रभावित हो जाते थे।

अच्छी कम्युनिकेटर – सुषमा ऐसी राजनीतिज्ञ थीं, जो हमेशा शानदार कम्युनिकेटर थी. वो धाराप्रवाह अंग्रेजी और हिंदी में बोल सकती थीं. इंटरनेशनल मीटिंग्स में भी वो जिस तरह लोगों से मुखातिब होती थीं, और अपनी टीम से भी संवाद करती थीं, उससे हर बात बहुत स्पष्ट हो जाती थी।

सेंस ऑफ ह्यूमर – उनका सेंस ऑफ ह्यूमर गजब का था। अक्सर गंभीर माहौल में वो चुटकी लेकर उसे हल्का कर देती थीं। उनके पास शेरो-शायरी का भी खजाना था, जो अक्सर माहौल को बदलने में बड़ा काम आता था।

विषय पर पकड़- सुषमा ने अपने लंबे सियासी करियर में कई मंत्रालयों में काम किया और उन सभी की बारीक बातों को भी उन्होंने बखूबी समझा। जिसका असर ये हुआ कि वो जहां कहीं रहीं और जिस भी भूमिका में रहीं, उसमें उन्होंने बखूबी काम को अंजाम भी दिया।

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