पुनीत गुप्ता , दिल्ली दर्पण टीवी
बवाना। नार्थ वेस्ट दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी का सपना हर घर शौचालय को आइना दिखाती शौचालय की यह तस्वीर यह बताने के लिए काफी है की दिल्ली में सरकारी एजेंसियो की काम करने की नियत कितनी साफ़ है। इसीलिए कई सालो से सरकारी इमारतें खंडहर बन चुकी है उनकी सुध लेने वाला भी कोई नहीं है।
शौचालय बना तो लेकिन इस्तेमाल करने लायक नहीं
ऐसा ही कुछ हमें दिखा बरवाला से बवाना की और जाते हुए। शुरुआत में देखने में यह एक खंडहर ही नज़र आया जिसके बहार कुछ शराब की बोतलें भी पड़ी हुई थी। अंदर जा कर देखा तो पता चला की यह सरकारी शौचालय है। जो कई सालो पहले बना तो था लेकिन इस्तेमाल नहीं हुआ। किसी भी एजेंसी ने इसकी सुध नहीं ली।
सरकारी शौचालय, नशेड़ियों का अड्डा
इस शौचालय के बारे में जानने पहुंचे तो, हमें देख एक व्यक्ति हमसे बात करने के लिए आये। जिनका नाम पंकज भारद्वाज था। बरवाला के रहने वाले है और समाज सेवक है। उन्होंने ही हमें इस शौचालय की हकीकत बताई। पंकज भारद्वाज ने बताया की यह शोचलाय नशा का अड्डा बन चूका है। शराब की बोतले, ड्रग्स में इस्तेमाल होने वाली सिरिंज मिलना यहाँ आम बात है।
कई सालो पहले पर्यावरण एव वन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा इस जन सुविधा केंद्र की शुरुआत हुई थी। लेकिन उसके बाद से ही इस शौचालय का पतन शुरू हो गया। जिस सरकारी एजेंसी को इसकी जिम्मेदारी दी गयी थी उस एजेंसी ने कुछ नहीं किया। जिसकी वजह से से आज यह नशे का अड्डा बन चूका है।
सालो से शौचालय का काम क्यों अटका हुआ है ?
अंदर गए तो देखा शौचालय में सभी दरवाजे चोरी हो चुके है। सब कुछ टुटा हुआ था। गंदगी की वजह से आप एक कदम नहीं रख सकते। सालो पहले पर्यावरण एव वन मंत्रालय ने बड़ी उमीदो के साथ यह सोच कर पैसा दिया होगा की सड़क पर चलने वाला हर व्यक्ति इस शौचालय का इस्तेमाल कर सकेगा। लेकिन यह देख कर वन मंत्रालय को नींद नयी आएगी की उसके दिए हुए फण्ड से बने शौचालय अब नशे का अड्डा बन चुके है और कोई भी एजेंसी इसकी जिम्मेदारी लेने को राजी नहीं है।
इस खड़हर के सामने से जब भी कोई व्यक्ति गुजरता होगा तो सोचता होगा की जो इतने सालो से वह टैक्स भरता आ रहा है आखिर वो टैक्स जाता कहा है। करदाताओं के पैसे का इतना अच्छा उपयोग तो आखिर और क्या हो सकता है की एक ही जगह शौचालय भी और नशे के लिए इस्तेमाल हो सकता है।