Saturday, May 4, 2024
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दिल्ली में प्राइवेट अस्पताल की मनमानी पैर में गैंगरिंग के इलाज की बजाए किया कोरोना का इलाज

डिम्पल भारद्वज, संवाददाता

तक अस्पताल बना चुका है करीब 20 लाख का बिल

मरीज़ की बेटी को बताए बिना किया अस्पताल ने डिस्चार्ज

दिल्ली दर्पण टीवी पर आप सभी ने बीते समय एक खबर देखी होगी जिसमें एक्शन बालाजी अस्पताल में कांता अपने पिता किशन सिंह के पैर में गैंगरींग के चलते सर्जरी कराने लाई थी। लेकिन कांता से अस्पताल प्रशासन ने मरीज़ को कोरोना बता कर 1 लाख रुपयों की मांग की थी। जबकि पहले जिस अस्पताल में कांता के पिता का इलाज चल रहा था वहां उनके पिता की कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आई थी। लेकिन बाला जी एक्शन अस्पताल ने मरीज को एडमिट करने के चंद घंटों बाद ही कोरोना पोसिटिव बता दिया। और 1 लाख रुपये कांता को जमा करने के लिये कहा गया। लेकिन जैसे ही हमारे चैनल ने इस मामले पर संज्ञान लिया तो रुपयों की मांग बंद कर दी गयी। और लगभग पिछले 30 दिनों से कांता के पिता का कोविड़ 19 का इलाज अस्पताल द्वारा किया जा रहा था।

अचानक से उनके पिता को अस्पताल ने डिस्चार्ज कर पुलिस को फोन कर दिया की कांता अपने मरीज़ को अस्पताल से लेकर नहीं जा रही है। जबकि कांता का कहना है की वह अपने पिता के पैर में गैंगरिंग की सर्जरी करना के लिये यहां लाई थी लेकिन अस्पताल ने पैर की सर्जरी नहीं की और सिर्फ कोरोना का इलाज करने के नाम पर 20 लाख का बिल बना दिया है। कांता इन रुपयों को देने से इंकार नहीं कर रही क्योंकि उनका सीजीएस का पैनल है जिसमें 1 करोड़ तक का इलाज वो करा सकती हैं। लेकिन अस्पताल उनके पिता की सर्जरी किये बगैर डिस्चार्ज कर रहा है। कांता मांग कर रही हैं की उन्हें उनकी कैस समरी और कोरोना की मौजुदा रिपोर्ट दी जाए तो वह अपने पिता किशन सिंह को अस्पताल से ले जाने को भी तैयार हैं लेकिन अस्पताल प्रशासन कैस समरी देने को तैयार नहीं हैं।

कांता की परेशानी इस लिये भी बढ़ रही है क्योंकि बिना कैस समरी के दुसरा अस्पताल उनके पिता को भर्ती नहीं करेगा और बिना सर्जरी वह उन्हें घर ले जा नहीं सकती हैं। ऐसे में कांता को समझ नहीं आ रहा है की वह करें तो करें क्या। अस्पताल लगातार उन्हें परेशान कर रहा है वह अपनी लिखित शिकायत भी अस्पताल को दे चुकी हैं बावरजूद इसके उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही उल्टा उन्हें ही पुलिस का डर दिखा कर परेशान किया जा रहा है। जब इस ममाले में अस्पताल प्रशासन से मिलने और फोन पर बात करने की कोशिश की गयी तो अस्पताल प्रशासन कुछ भी बोलने बचता रहा जिससे दाल में कुछ काला तो नज़र आ रहा है।

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