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नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष विकास गोयल ने 19 कर्मचारी यूनियनों को लिखा पत्र , कहा निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार का विरोध और जाँच की करें मांग

संवाददाता, दिल्ली दर्पण टीवी

नई दिल्ली।। उत्तरी नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष विकास गोयल ने कर्मचारी यूनियनों को पत्र लिख कर निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार का विरोध करने की मांग की है। साथ ही आम आदमी पार्टी ने निगम के ढाई हजार करोड़ रूपये की छूट पर भी सवाल उठाए हैं।पार्टी ने नगर निगम की कर्मचारी यूनियनों से सत्ताधारी भाजपा के भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते हुए निगम की 19 सफाई कर्मचारी व अन्य कर्मचारी यूनियनों को पत्र लिखा है।

गोयल ने अपने पत्र में कहा है कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम में सत्ताधारी भाजपा द्वारा पार्किंग व विज्ञापन माफियाओं के साथ मिलीभगत करके उनकी ओर निकल रहे करोड़ों रुपये माफ कर दिए हैं। दक्षिणी नगर निगम से उत्तरी दिल्ली दिल्ली नगर निगम को सिविक सेंटर के उपयोग के लिए किराये के रूप में मिलने वाले 2457 करोड़ रुपये भी माफ कर दिए हैं जबकि नगर निगम के कर्मचारियों को पिछले कई महीनों से वेतन नहीं मिल रहा है।

उन्होंने अपील की है कि कर्मचारी यूनियनें भी निगम में सत्तारूढ़ भाजपा के भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने साथियों के साथ मिलकर आवाज उठाने की तथा भ्रष्टाचार के मामलों के खिलाफ जांच करवाए जाने की मांग करें।नेता विपक्ष विकास गोयल ने उन सभी यूनियनों के पदाधिकारियों को पत्र लिखे हैं जो समय-समय पर उन्हें अपनी मांगों से अवगत कराती रही हैं तथा समर्थन मांगती रही हैं।

उन्होंनें सत्तारूढ़ भाजपा नेताओं पर हमला बोलते हुए साफ कहा है कि भाजपा नेता नगर निगम की आय बढ़ाने के बजाय भ्रष्टाचार में लिप्त है और वे अपनी जेबें भरने में लगे हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि पिछले कई सालों से उत्तरी निगम द्वारा दक्षिणी दिल्ली नगर निगम से सिविक सेंटर का किराया वसूलने के लिए पत्राचार किया जाता रहा है। उत्तरी निगम द्वारा इस राशि को बजट में अपनी आय के स्त्रोत के रूप में दिखाया जाता रहा है।उन्होंने कहा कि इस बार के बजट प्रस्तावों में बीजेपी के शासन वाले नगर निगम ने कर्मचारियों के हितों पर कुठाराघात करते हुए 2457 करोड़ रुपए माफ कर दिए हैं।

निगम कर्मचारियों को कई महीनों से वेतन नहीं मिला है तथा पेंशनधारियों को पेंशन नहीं मिली है। निगम के कर्मचारी पहले से ही भाजपा नेताओं द्वारा वेतन दिये जाने की वायदा खिलाफी से आक्रोशित हैं। यदि किराये की 2457 करोड़ रुपये की राशि उत्तरी दिल्ली नगर निगम को मिल जाती तो वह न केवल अपने सभी कर्मचारियों का बकाया वेतन और पेंशन दे सकती थी बल्कि एक साल की एडवांस तनख्वाह भी दे सकती थी।

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