शिवानी मोरवाल, संवाददाता
नई दिल्ली। काफी जद्दोजहद के बाद दिल्ली नगर निगम के कर्मचारियों को छह-सात माह से लंबित वेतन मिलने की उम्मीद जागी है। यह उम्मीद राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया द्वारा 14 जनवरी को एमसीडी कर्मचारियों की सैलरी के लिए 938 करोड़ रुपये देने के ऐलान से बनी है। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की पीड़ा को देखते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अन्य योजनाओं से पैसा निकालकर 938 करोड़ रुपया जमा किया है। इस बावत सिसोदिया द्वारा ने बताया कि ये पैसा दिल्ली सरकार ने दूसरी योजनाओं में से निकालकर इकट्ठा किया है ताकि कर्मचारियों की सैलरी दी जा सके। इसी के साथ उन्होंने एमसीडी की कार्यप्रणाली को भी आड़े हाथों लिया और कहा कि एमसीडी पर दिल्ली सरकार का 6,276 करोड़ रुपया बकाया है। एमसीडी को बीजेपी ने दिवालिया करके इतनी बड़ी राशि का कर्जदार बना दिया। उन्होंने ने कहा कि कोरोना और लॉकडाउन के कारण मार्केट का भी बुरा हाल है। दिल्ली सरकार ही अपना काम मुश्किल से चला रही है। इसके बावजूद नगर निगम के कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए हमने अन्य योजनाओं को रोककर तथा अन्य विभागों की राशि काटकर किसी तरह 938 करोड़ रुपयों का इंतजाम किया हैं। यह राशि सैलरी के लिए दी जा रही है। उन्होंने बीजेपी को चेतावनी भी दी कि वे इन पैसों की भी चोरी नहीं करें। इनसे कर्मचारियों की तनख्वाह ही दें।
सिसोदिया बीजेपी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने से भी नहीं चुके। उन्होंने बताया कि करीब 14 साल पहले एमसीडी की सत्ता में आई बीजेपी ने तीनों नगर निगमों को पूरी तरह दिवालिया बना दिया। निगम को उसने बुरी तरह चूस लिया कि अब गुठली भी नहीं छोड़ी है। उत्तरी दिल्ली नगर निगम के बैंक खाते में मात्र 12 करोड़ रुपये बचे हैं, जबकि पूर्वी नगर निगम के पास मात्र 99 लाख रुपये हैं। एमसीडी पर दिल्ली सरकार का 6,276 करोड़ रुपया बकाया है। एमसीडी को बीजेपी ने दिवालिया करके इतनी बड़ी राशि का कर्जदार बना दिया. अब नगर निगम के पास अपने कर्मचारियों को तनख्वाह देने तक के पैसे नहीं हैं. इस वक्त एमसीडी साफ-सफाई, बिल्डिंग नक्शे संबंधी काम के लायक भी नहीं रह गई है. सफाई कर्मियों, शिक्षकों, मेडिकल स्टाफ इत्यादि को तनख्वाह नहीं मिल रही है।
इसी क्रम में सिसोदिया ने देश के निगमों को केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली आर्थिक मदद के बारे में बताते हुए कहा कि दिल्ली नगर निगम को केंद्र से कोई राशि नहीं मिलती। इस संबंध में उन्होने सवाला उठाया कि आखिर क्या कारण है कि कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, लेफ्ट या अन्य दलों के नेतृत्व वाले नगर निकायों को केंद्र से सहायता मिलती है, लेकिन बीजेपी शासित दिल्ली नगर निगम को केंद्र से एक भी पैसा नहीं मिलता?
उन्होंने कहा कि कायदे से दिल्ली नगर निगम को केंद्र से 11,500 करोड़ रुपये मिलने चाहिए। जबकि केंद्र का मानना है कि वह इसे नहीं दे सकती, क्योंकि बीजेपी वाले इन पैसों को खा जाएंगे। भले ही ऐसी मदद करना कानून में लिखा हो, लेकिन भ्रष्टाचार के कारण केंद्र सरकार दिल्ली नगर निगम को पैसे नहीं दे रही। सीएम केजरीवाल कई बार केंद्र सरकार को पत्र लिखकर एमसीडी का सारा पैसा देने का अनुरोध कर चुकी है।