पुनीत गुप्ता, दिल्ली दर्पण टीवी
नई दिल्ली। दिल्ली के उपचुनावों के बाद एमसीडी चुनावो का माहौल बदल चुका है आम आदमी पार्टी की जीत के बाद दिल्ली के नेता केजरीवाल की नीतियों से ज्यादा प्रभावित होते नज़र आ रहे है , दिल्ली की तीनों नगर निगमों के अगले साल चुनाव होने जा रहे हैं. शायद आम आदमी पार्टी को नेता भाप चुके है इसीलिए चुनावों से पहले दिल्ली की सियासत में भी बदलाव की धारा बहनी शुरू हो गई है। दिल्ली की तीनों प्रमुख पार्टियाें भाजपा आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के नेता एक दूसरे दलों को छोड़कर अपनी राजनीतिक सेटिंग करने में जुट चुके है।
तीनों पार्टियों के नेता अपनी सहूलियत के हिसाब से नए दल को ज्वाइन कर रहे हैं. इन नेताओं में सिर्फ संगठन के ही नहीं बल्कि चुने हुए निगम पार्षद भी पार्टी छोड़कर दूसरे दल को ज्वाइन कर रहे हैं. खासकर भाजपा और कांग्रेस के पार्षद व पूर्व पार्षद पार्टी छोड़कर आम आदमी पार्टी ज्वाइन कर रहे हैं।
ऐसा नहीं है कि भाजपा पार्षदों या नेताओं का आम आदमी पार्टी जॉइन करने का सिलसिला अभी शुरु हुआ है. बल्कि करीब 1 साल से इस तरह के नेताओं का आम आदमी पार्टी में आने का सिलसिला लगातार जारी है। हाल ही में भाजपा के ब्रह्मपुरी वार्ड 47 ई से पार्षद ब्रह्मपुरी वार्ड से निगम पार्षद राजकुमार बल्लन ने आम आदमी पार्टी ज्वाइन की है. और पार्टी में विश्वास जताते हुए भाजपा में तानाशाही पैदा होने जैसे आरोप भी लगाए हैं.
आम आदमी पार्टी के प्रदेश संयोजक और दिल्ली के कैबिनेट मंत्री गोपाल राय का कहना है कि हम सबका मकसद एक ही है कि जिस तरह से दिल्ली सरकार में बदलाव आने से काम की गति बढ़ी है, एमसीडी में भी बदलाव हो. एमसीडी के अंदर काम की गति बढ़े। दिल्ली के मुख्यमंत्री जनता के हित के लिए काम कर रहे हैं. लेकिन जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी काम करना तो दूर दिल्ली के हर संकट के समय में इनकी सरकार अर्चन डालती है.
आप नेता सौरभ भारद्वाज का कहना हैं कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जिस प्रकार से दिल्ली की जनता के लिए काम कर रहे हैं उससे प्रभावित होकर हर दिन आम आदमी पार्टी के परिवार में शामिल होने वाले लोगों की गिनती बढ़ती जा रही है.
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता दुर्गेश पाठक का कहना है कि दिल्ली वालों ने भाजपा को एमसीडी से निकाल फेंकने का मन बना लिया है. यह खुद भाजपा के इंटरनल सर्वे से साबित हुआ है. यह सर्वे कहता है कि अप्रैल के चुनाव में एमसीडी की कुल 272 सीटों में से भाजपा को 40-50 सीटें मिलना भी मुश्किल होगा.