नई दिल्ली। संवाददाता
बस ख़रीद में अनियमितता,बस सप्लायरों और परिवहन मंत्री गहलोत के बीच मिलीभगत की पुष्टि करता है। बिना और बग़ैर टेंडर के 250 अतिरिक्त बसों की खरीद के लिए डीटीसी बोर्ड ने वर्क ऑर्डर को मंज़ूरी क्यों दी ?JBM कम्पनी के साथ हुए इलेक्ट्रिक बसों के सौदे की भी जांच की माँग की है।
भाजपा दिल्ली के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और रोहिणी से विधायक श्री विजेंद्र गुप्ता ने केजरीवाल सरकार द्वारा 1000 लो फ्लोर डीटीसी बस खरीद में किए गए घोटाले के तथ्य उजागर करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री व डीटीसी के अध्यक्ष कैलाश गहलोत द्वारा 1000 लो-फ्लोर डीटीसी बसों की खरीद की पूरी प्रक्रिया संदिग्ध कार्यों से भरी है।
गुप्ता ने कहा कि 27 नवंबर 2020 को डीटीसी बोर्ड की बैठक में 1000 बसों के लिए जारी किए गए टेंडर के अलावा बिना टेंडर के 250 अतिरिक्त बसों की खरीद के लिए मंजूरी दी गई। जबकि 11 जुलाई 2019 को कैबिनेट के फैसले में केवल 1000 बसों की खरीद की मंज़ूरी दी गई थी।अचानक से बिना कैबिनेट मंजूरी और बिना टेंडर के 250 बसों को खरीद का वर्क ऑर्डर जारी करने को मंज़ूरी देना,परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत और निजी कंपनियों से मिलीभगत की और इशारा करती है।
जब परिवहन विभाग के सचिव ने बोर्ड मीटिंग के फ़ैसले के अनुसार कार्यवाही से इंकार कर दिया तो परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत तथा परिवहन विभाग के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई तो 6 जनवरी 2021 को परिवहन मंत्री गहलोत को डीटीसी बोर्ड की बैठक बुलाकर 27 नवंबर 2020 को लिए 1250 बसों की खरीद के फैसले को बदलकर पुन: 1000 बस ख़रीद को ही मंज़ूरी दी गई।
गुप्ता ने कहा कि जब 1000 लो फ्लोर बसों के लिए टेंडर और कैबिनेट की मंजूरी हुई थी तो बोर्ड ने 1250 बस ख़रीदने को मंज़ूरी कैसे दी गई ?
गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा इन दोनों निजी कंपनी का अनुबंध केवल 1000 लो फ्लोर बसों की आपूर्ति तक ही सीमित नहीं है अपितु 2 मार्च 2021 को हुई बोर्ड की बैठक में इन्हीं दो कंपनियों को 300 इलेक्ट्रिक बसों का ठेका भी दिया गया है। बस खरीद प्रक्रिया के अनुबंध तथ्यों के साथ इस नए सौदे के तथ्यों को भी सामने लाया जाना चाहिए।
श्री गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार ने दोनों कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए बस खरीद प्रक्रिया को उनके पक्ष में करने की कोशिश की है।उन्होंने कहा कि बस खरीद प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर हुए भ्रष्टाचार को जनता के सामने लाने के लिए सीबीआई जांच कराई जानी चाहिए।