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नई दिल्ली। राजधानी में स्थित एम्स सहित सभी बड़े केंद्रीय अस्पताल डाक्टरों की भारी कमी का सामना करना पढ़ रहा हैं। इसका कारण यह है कि अस्पतालों में डाक्टरों के एक चौथाई से लेकर करीब एक तिहाई पद खाली पड़े हैं। एम्स में डाक्टरों के सबसे अधिक 35.72 प्रतिशत पद खाली हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से संबंधित संसदीय समिति की रिपोर्ट से यह बात सामने आई है।
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कमेटी ने एम्स, सफदरजंग, आरएमएल अस्पताल व लेडी हार्डिंग मेडिकल कालेज (एलएचएमसी) के अस्पतालों में डाक्टरों की भारी कमी पर चिंता जाहिर की है। साथ ही डाक्टरों व कर्मचारियों की जल्द नियुक्ति करने की सिफारिश भी की है। सफदरजंग अस्पताल में डाक्टरों के 28 प्रतिशत पद खाली है। इसी तरह आरएमएल में डाक्टरों के 24.47 प्रतिशत, एलएचएमसी के अस्पतालों में डाक्टरों के करीब 13 प्रतिशत पद रिक्त है।
ये सभी दिल्ली के सबसे व्यस्त अस्पतालों में शुमार हैं। इन अस्पतालों में ही मरीजों का दबाव अधिक होता है। एम्स की ओपीडी में सामान्य दिनों में हर रोज करीब 13 हजार, सफदरजंग में साढ़े नौ हजार, आरएमएल में करीब नौ हजार व एलएचएमसी के दोनों अस्पतालों में करीब साढ़े तीन हजार मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं।
डाक्टरों की कमी के कारण मरीजों का इलाज प्रभावित होता है। एम्स ने पिछले साल नवंबर में 252 सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की थी। करीब पांच माह बाद भी इन पदों पर सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति नहीं हो पाई। डाक्टरों की कमी के चलते अस्पताल अस्थायी डाक्टरों पर निर्भर हैं।
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