Saturday, April 27, 2024
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Gujarat Assembly Election : बाजी मार ले गए केजरीवाल तो 2024 में बीजेपी के लिए बन जायेंगे आफत! 

मोदी और अमित शाह के खिलाफ आम आदमी पार्टी पूरी तरह से मुखर है, सत्ता से नाराज मतदाताओं का मिल सकता है समर्थन

सी.एस. राजपूत 
गुजरात विधान सभा  चुनाव के बिगुल बजते ही आम आदमी ने गुजरात चुनाव पर पूरी तरह से फोकस कर लिया है। आम पार्टी के संयोजक की रणनीति है कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के गृह राज्य गुजरात में बीजेपी को पटखनी दे दी जाये। इससे न केवल 2024 का आम चुनाव में केजरीवाल को खुलकर बोलने का मौका मिल जाएगा बल्कि दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई की शिकंजा भी कम हो जायेगा। दरअसल देश में भले ही कांग्रेस ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा हो पर आम आदमी पार्टी तो मोदी और अमित शाह से युद्ध कर रही है। गुजरात में आम आदमी पार्टी को मिल रहे समर्थन से केजरीवाल गदगद हैं। मोरबी पुल हादसा भी बीजेपी के खिलाफ जाएगा, ऐसे में केजरीवाल इस हादसे को भुनाने से चूकेंगे नहीं। यदि चुनाव परिणाम में केजरीवाल बीजेपी से पिछड़ते भी हैं तो लोकसभा चुनाव में दबाव बनाने के लिए कांग्रेस की आम आदमी पार्टी को समर्थन देना मज़बूरी बन जाएगी। 

वैसे भी भाजपा और कांग्रेस के बीच होने वाला गुजरात विधानसभा चुनाव इस बार आम आदमी पार्टी (आप) की दस्तक से त्रिकोणीय होने के चलते और भी अधिक रोचक हो गया है। आम आदमी ने लंबे समय से राज्य की सत्ता में काबिज भाजपा के लिए यह चुनाव जहां प्रतिष्ठा का प्रश्न बना दिया ही। 

राजनीतिक जानकारों के अनुसार, जिस प्रकार भाजपा-कांग्रेस के बाद ‘आप’ तीसरे दल के रूप में प्रमुखता से गुजरात के चुनाव प्रचार में अपनी जगह बनाती दिख रही है, वह महत्वपूर्ण है, लेकिन देखना यह होगा कि वह भाजपा के नाराज मतदाताओं को अपनी तरफ लाने में सफल रहती है या फिर कांग्रेस के वोट पर काबिज होती है। फिर यह भी देखना होगा कि वह इसमें किस हद तक कामयाब हो पाती है।

दरअसल, मोदी-शाह के गृह प्रदेश होने के साथ-साथ यह राज्य इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि पिछले दोनों लोकसभा चुनावों में सभी 26 लोकसभा सीटें भाजपा की झोली में गई हैं। भाजपा तीसरी बार भी इसी प्रकार के नतीजों की उम्मीद गुजरात से करती है। इसका बड़ा कारण है कि गुजरात चुनाव का सीधा असर लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा। 
यदि पिछले विधानसभा चुनाव को भी देखें तो कांग्रेस ने 77 सीटें जीतकर भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी पर जब डेढ़ साल बाद लोकसभा चुनाव हुए तो कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत सकी। यह दिखाता है विधानसभा एवं लोकसभा चुनावों को लेकर जनता अलग-अलग तरीके से मतदान करती है पर देखना यह भी है कि मौजूदा राजनीतिक हालात में गुजरात में बीजेपी की हार उसे लोकसभा चुनाव में ले डूबेगी। 

उधर केजरीवाल ने गुजरात में दिल्ली की शिक्षा और चिकित्सा फ्री का दांव चल दिया है। यह दांव गुजरात में चल गया तो केजरीवाल बाजी मार भी सकते हैं। 

पिछले प्रदर्शन को और बेहतर बनाने की कोशिश

भाजपा गुजरात में अपने प्रदर्शन को पिछली बार से बेहतर बनाने के लिए प्रयास कर रही है क्योंकि इससे वह चुनाव जीतने के साथ-साथ देश में संदेश देने में भी सफल रहेगी, लेकिन यदि उसकी सीटें कम होती हैं तो फिर विपक्ष को मौका मिल जाएगा और 2024 के लिए भाजपा को घेरने की रणनीति पर कहीं ज्यादा तेजी से जुट सकता है।

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