Saturday, April 27, 2024
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Indian History : हिन्दू शासकों भी रही हैं मुस्लिम पत्नियां !

रोहताश सिंह चौहान 
 

कुछ लोगों ने राजनीति चमकाने के चक्कर में यह धारना बना रखी है कि मुस्लिम शासकों के यहां हिन्दू की लड़कियाँ रही हैं। मतलब मुस्लिम शासकों की ही पत्नियां हिन्दू रही हैं। यह धारना गलत है क्योंकि हिन्दू शासकों की पत्नियां भी मुस्लिम लड़कियां रही हैं। 


(1) अकबर की बेटी शहज़ादी खानूम से महाराजा अमर सिंह
(2)कुँवर जगत सिंह ने उड़ीसा के अफगान नवाब कुतुल खा कि बेटी मरियम से विवाह!
(3)महाराणा सांगा मुस्लिम सेनापति की बेटी मेहरूनीसा से ओर तीन मुस्लिम लड़कियों से विवाह!

(4)महाराणा कुंभा (अपराजित योद्धा) का जागीरदार वजीर खा की बेटी से विवाह!

(5)बप्पा रावल (फादर ऑफ रावलपिंडी) गजनी के मुस्लिम शासक की पुत्री से ओर ओर 30 से अधिक मुस्लिम राजकुमारी से विवाह!

(6)विक्रमजीत सिंह गौतम का आजमगढ़ की मुस्लिम लड़की से विवाह!

(7)जोधपुर के राजा राजा हनुमंत सिंह का मुस्लिम लड़की ज़ुबेदा से विवाह!

(8)चंद्रगुप्त मौर्य (राजपूत) का सिकंदर के सेनापति सेल्यूकस निकेटर की बेटी हेलेना से विवाह!

(9)महाराणा उदय सिंह II ने एक मुस्लिम लड़की लाला बाई से विवाह

(10)राजा मान सिंह प्रथम मुस्लिम लड़की मुबारक से विवाह

(11)अमरकोट के राजा वीरसाल का  हामिदा बानो से विवाह

(12)राजा छत्रसाल का हैदराबाद के निजाम की बेटी रूहानी बाई से विवाह

(13)मीर खुरासन की बेटी नूर खुरासन का राजपूत राजा बिन्दुसार से विवाह

राजपुतो राजाओ की मुस्लिम प्रेमिकाये =

(1) अल्लाउदीन खिलजी की बेटी “फिरोजा”” जो जालोर के राजकुमार वीरमदेव की दीवानी थी, वीरमदेव की युद्ध में वीरगति प्राप्त होने पर फिरोजा सती हो गयी थी!

(2)औरंगजेब की एक बेटी जेबुनिशा जो कुंवर छत्रसाल के पीछे दीवानी थी ओर प्रेम पत्र लिखा करती थी और छत्रसाल के अलावा किसी ओर से शादी करने से इंकार कर दिया था

(3)औरंगजेब की पोती ओर मोहम्मद अकबर की बेटी सफियत्नीशा* जो राजकुमार अजीत सिंह के प्रेम की दीवानी थी!_

(4)इल्तुतमिश की बेटी रजिया सुल्तान जो राजपूत जागीरदार कर्म चंद्र से प्रेम करती थी l

(5)औरंगजेब की बहन भी छत्रपति शिवाजी की दीवानी थी शिवाजी से मिलने आया करती थी

राजपूत राजाओ की ओर भी बहुत सी मुस्लिम बीवीया थी लेकिन वो राज परिवार ओर कुलीन वर्ग से नहीं है लेकिन उस समय की किताबों मै ब्रिटिश ओर उस समय के कवियों के रचनाओ मै जिक्र स्पष्ट है ओर ब्रिटिश रिकॉर्ड मै भी ओर ज्यादातर राजपूतो राजाओ की एक से ज्यादा मुस्लिम बीवियां थी लेकिन रक्त शुद्धता की वजह से इनके बच्चों को अपनाया नहीं जाता ओर उन बच्चों को वर्णशंकर मान के जागिर दे दी जाती थी or राज परिवार ओर उनके कार्यक्रम से दूर रखा जाता था इसलिए उन वर्णसंकर ओलादो को इतिहास मै अपनी जगह नहीं मिली ओर राजपूत रानियो की संतान से ही वंश आगे चलता था ओर राजाओं के कवि ओर विद्वान ने उसे अपनी लेखनी मै जगह दी है

Example – when Ghori was defeated in 1190 when he attacked Gujarat, a large part of his army was taken captive – which included Turkish, Persian and Afghan women. Muslim women of aristocratic rank were converted to Hinduism and married off too local rajput

जोधपुर के राजा हनुमंत सिंह ने Sandra  mvbryde से भी विवाह किया था जो कि ईसाई थी

1.maharaja mitrajeet singh married a kashmiri barsati begum

2.Lt. Colonel gopal saran Singh married sayeda khatun he married 4 times also to a Australian wife

3.Amar Singh son of gopal saran from sayeeda khatun also married sultan jahan and again married to a Muslim nargis and third to a Hindu

4. Mod narain Singh another son of amar singh also marraied bairati begum

5. Maharaja sumair Singh tikari married begum sultan jahan

It is story of only one zamindari there were more than a thousand in India

अकबर कितना महान था उसने अपनी पुत्रवधू का रेप कर के ये साबित कर दिया फिर भी देख लो http://www.shankhnad.org/2015/05/akbar-great-demon.html?m=1

(1)अकबरनामा(Akbarnama) में जोधा का कहीं कोई उल्लेख या प्रचलन नही है।।(There is no any name of Jodha found in the book “Akbarnama” written by Abul Fazal )

 2- तुजुक-ए-जहांगिरी /Tuzuk-E-Jahangiri(जहांगीर की आत्मकथा /BIOGRAPHY of Jahangir) में भी जोधा का कहीं कोई उल्लेख नही है(There is no any name of “JODHA Bai”Found in Tujuk -E- Jahangiri ) जब की एतिहासिक दावे और झूठे सीरियल यह कहते हैं की जोधा बाई अकबर की पत्नि व जहांगीर की माँ थी जब की हकीकत यह है की “जोधा बाई” कापूरे इतिहास में कहीं कोइ नाम नहीं है, जोधा का असली नाम {मरियम- उल-जमानी}( Mariam uz-Zamani ) था जो कि आमेर के राजा भारमल के विवाह के दहेज में आई परसीयन दासी की पुत्री थी उसका लालन पालन राजपुताना में हुआ था इसलिए वह राजपूती रीती रिवाजों को भली भाँती जान्ती थी और राजपूतों में उसे हीरा कुँवरनी (हरका) कहते थे, यह राजा भारमल की कूटनीतिक चाल थी, राजा भारमल जान्ते थे की अकबर की सेना जंसंख्या में उनकी सेना से बड़ी है तो राजा भारमल ने हवसी अकबर बेवकूफ बनाकर उस्से संधी करना ठीक समझा , इससे पूर्व में अकबर ने एक बार राजा भारमल की पुत्री से विवाह करने का प्रस्ताव रखा था जिस पर भारमल ने कड़े शब्दों में क्रोधित होकर प्रस्ताव ठुकरा दिया था , परंतु बाद में राजा के दिमाग में युक्ती सूझी , उन्होने अकबर के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और परसियन दासी को हरका बाइ बनाकर उसका विवाह रचा दिया , क्योकी राजा भारमल ने उसका कन्यादान किया था इसलिये वह राजा भारमल की धर्म पुत्री थी लेकिन वह कचछ्वाहा राजकुमारी नही थी ।। उन्होंने यह प्रस्ताव को एक AGREEMENT की तरह या राजपूती भाषा में कहें तो हल्दी-चन्दन किया था ।।

 3- अरब में बहुत सी किताबों में लिखा है written in parsi ( “ونحن في شك حول أكبر أو جعل الزواج راجبوت الأميرة في هندوستان آرياس كذبة لمجلس”) हम यकीन नहीं करते इस निकाह पर हमें संदेह है ।।

 4- ईरान के मल्लिक नेशनल संग्रहालय एन्ड लाइब्रेरी में रखी किताबों में इन्डियन मुघलों का विवाह एक परसियन दासी से करवाए जाने की बात लिखी है ।।

 5- अकबर-ए-महुरियत में यह साफ-साफ लिखा है कि (written in persian “ہم راجپوت شہزادی یا اکبر کے بارے میں شک میں ہیں” (we dont have trust in this Rajput marriage because at the time of mariage there was not even a single tear in any one’s eye even then the Hindu’s God Bharai Rasam was also not Happened ) “हमें इस हिन्दू निकाह पर संदेह है क्यौकी निकाह के वक्त राजभवन में किसी की आखों में आँसू नही थे और ना ही हिन्दू गोद भरई की रस्म हुई थी ।।

 6- सिक्ख धर्म के गुरू अर्जुन और गुरू गोविन्द सिंह ने इस विवाह के समय यह बात स्वीकारी थी कि (written in Punjabi font – “ਰਾਜਪੁਤਾਨਾ ਆਬ ਤਲਵਾਰੋ ਓਰ ਦਿਮਾਗ ਦੋਨੋ ਸੇ ਕਾਮ ਲੇਨੇ ਲਾਗਹ ਗਯਾ ਹੈ “ ) कि क्षत्रीय , ने अब तलवारों और बुद्धी दोनो का इस्तेमाल करना सीख लिया है , मत्लब राजपुताना अब तलवारों के साथ-साथ बुद्धी का भी काम लेने लगा है ।।( At the time of this fake mariage the Guru of Sikh Religion ” Arjun Dev and Guru Govind Singh” also admited that now Kshatriya Rajputs have learned to use the swords with brain also !! )ैै
7- 17वी सदी में जब परसि भारत भ्रमन के लिये आये तब उन्होंने अपनी रचना (Book) ” परसी तित्ता/PersiTitta ” में यह लिखा है की “यह भारतीय राजा एक परसियन वैश्या को सही हरम में भेज रहा है , अत: हमारे देव (अहुरा मझदा) इस राजा को स्वर्ग दें ” ( In 17 th centuary when the Persian came to India So they wrote in there book (Persi Titta)that ” This Indian King is sending a Persian prostitude to her right And deservable place and May our God (Ahura Mazda) give Heaven to this Indian King .ं

8- हमारे इतिहास में राव और भट्ट होते हैं , जो हमारा ईतिहास लिखते हैं !! उन्होंने साफ साफ लिखा है की ” गढ़ आमेर आयी तुरकान फौज ,ले ग्याली पसवान कुमारी ,राण राज्या राजपूता लेली इतिहासा पहली बार ले बिन लड़िया जीत (1563 AD “मत्लब आमेर किले में मुगल फौज आती है और एक दासी की पुत्री से अकबर ने शादी की थी ।
9-यह वो अकबर महान था जिसके समय मे लाखों राजपुतानी अपनी इज्जत बचाने के लिये जोहर की आग में कूद गई ( अगनी कुन्ड में )कूद गई ताकी मुघल सेना उन्हे छू भी ना सके , क्या उनका बलिदान व्यर्थ हे जो हम उस जलाल उद्दीन मोहोम्मद अकबर को अकबर महान कहते हे सिर्फ महसूर कर माफ कर देने के कारण भारतीय व्यापारीयों ने उसे अकबर महान का दर्जा दिया !!अब ये बात बताईये की क्या हिन्दूस्तान में हिन्दूओं पर तीर्थ यात्रा पर से कोई टेक्स हटा देना कौन सी बड़ी महानता है , यह तो वैसे भी हमारा हक था और बेवकूफ व्यापारीयों ने एक कायर को अकबर महान का दर्जा दि (हिन्दूस्तान पर राज करने के लिये अकबर ने अपने दरबार में नौ लोगों को नवरत्न बनाया जिसमे 4 हिन्दू थे । राजा मान सिंह जो कि अकबर के समकालीन थे और अकबर के नवरत्नो में से एक थे उन्होंने अकबर से हिन्दूओं पर से तीर्थ यात्रा(महसूर)कर माफ करने की मांग उठाई सत्ता के लालची अकबर को डर था क्यौ कि उसके 4 रत्न हिन्दू थे और अगर वह मान सिंह की मांग को खारिज कर देता तो बाकी के हिन्दू रत्न उसके लिये काम छोड़ सक्ते थे क्यों की अकबर की झूटी सेक्यूलर छवी का असली चहरा सामने आजाता (और सच्चाई भी यही थी की वह एक कट्टरवादी और डरपोक(फट्टू) किस्म का शासक था उसको यह बात पता थी कि हिन्द पर कट्टर छवी के बदोलत राज नही किया जा सक्ता यही वजह थी की उसके पूर्वज हिन्द पर राज ना कर सके थे इस बात को समझते हुए अकबर ने हिन्दू राजाओं में फूट डालने का राजनितिक तरीका अपनाया ) और उसका हिन्दुस्थान पर शासन का सपना अधूरा रह सक्ता था इस बात के भय से उसने तीर्थ यात्रा कर(टेक्स) हटा दिया ।।यह वो समय था जब राणा प्रताप, राणा उदय सिंह,दुर्गा दास, जयमल और फत्ता(फतेह सिंह) जैसे वीर सपूत हुए , यह वही समय था जब रानी दुर्गावती रानी भानूमती रानी रूप मती जैसी वीर राजपुतानीयो ने अकबर से युद्घ लड़ा !!

10- मुगलों ने जब चित्तौड़ किले पर आक्रमण किया तब मात्र 5,000 से 10,000 राजपूत किले पर मैजूद थे जिन से अकबर ने 50,000 से 80,000 मुघलों को लड़वाया , मत्लब साफ है की अकबर राजपुताना से बराबरी से लड़ने की दम नहीं रखता था , इस युद्ध में जयमल सिंह राठौढ़ मेड़तिया और फतेह सिंह सिसौदिया ने अकबर के दांत खट्टे कर दिये थे । उस युद्ध में अकबर की आधी से ज्यादा सेना को राजपूतों ने मौत के घाट उतार दिया था और भारी मात्रा में नुकसान पहुंचाया था इस नुकसान को देखकर खिस्याए अकबर ने चित्तौड़ के लगभग 25,000 गैर इस्लामिक परिवारों को मौत के घाट उतरवा दिया था ।। लाखों मासूमों के सर कटवा दिये , लाखों औरतोको अपने हरम का शिकार बनाया इस युद्ध के दौराम 8,000 राजपुतानीयाँ जैहर कुण्ड में प्राण त्याग जिन्दा जल गईं ।।नोट- अकबर ने राजपूतों के आपसी मन मुटाव का फाएदा उठाया क्यो की वह जान्ता था कि आपसी फूट डालकर ही क्षत्रीय से लड़ा जा सक्ता हे।।

11 .- 1947 की आजादी के बाद पं नेहरू को यह डर था कि जम्म् -कश्मीर के राजा हरी सींह ने जिस तरह अपने क्षेत्र पर अपना अधिपथ्य और राज पाठ त्यागने से मना कर दिया था उसी तरह कहीं बाकी की क्षत्रीय रियासतें फिरसे अपना रूतबा कायम कर देश पर अपना अधिपथ्य स्थापित ना कर लें इसलिए भारतीय इतिहास में से राजपूताना , मराठा ,व अन्य हिन्दू जातीयों के गौरवशाली इतिहास को हटा कर मुघलों का झूटा इतिहास ठूस(भर) दिया ताकी क्षत्रीय जातीयों का मनोबल हमेशा इस झूटे इतिहास को पड़ के गिरता रहे , लेकिन कुछ बहादुर वीरों के कारनामे छुपाए भी नही छुप सके जैसै राणा प्रताप , क्षत्रपती शिवाजी । मुघल कभी राजपूतों से जीत नहीं पाए थे हल्दीघाटी के युद्ध मै महाराणा की 20000 की सेना ने मुगलो कि 80000 की सेना को हराया ओर महाराणा की सेना ने इतना भयंकर हमला किया कि मुगल सेना 12 कोस भागी थी इस घटना का जिक्र अकबर के कवि बदायूनी ने भी किया था ।अकबर ने कभी राणा प्रताप का सामना नही किया !! क्योकी जो राणा का मात्र भाला ही 75 किलो का हो जो राणा रणभूमी में 250 किलो से अधिक वजन के अश्त्र शश्त्र लेके पूरा दिन रणभूमी में एसे लड़ता हो जैसे खेल रहा हो उसका सामना करना मौत का सामना करने के बराबर हे और यह बात अकबर को तब पता चली जब राणा प्रताप ने अकबर के सबसे ताकतवर सेनापती व सेना नायक बहलोल खाँ को अपने भाले के प्रथम प्रहार में नाभी से गरदन तक के धड़ को सीध में फाड़ दिया था ।। इस घटना की खबर सुनकर अकबर इतना डर गया की वह स्वयम कभी राणा प्रताप से नही लड़ा अब जरा यह सोचिए की सिर्फ कुछ वीरों ने अकबर की सेना को इस तरह नुकसान पहुचाया तो क्या किसी भी तुर्क मुघलिया, अफगानी या कोइ अन्य नपुंसक किन्नर फौज में इतना दम था कि पूरे राजपूताना , पूरा मराठा  से लड़ पाते !! ना तो इनमें इतना साहस था ना ही शौर्य इन्का साहस तो गंदे राजनितिक कीड़ो ने झूटी किताबों में लिखवाया है !!

12 – पृथ्वीराज रासो जो कि चंद्रबरदाई (प्रथ्वी राज के दरबार में मंत्री) द्वार की गई रचनात्मक किताब को राजनितिक तरिके से पहले उसके साक्षों को नष्ट करवा दिया गया बाद में एतिहासिक दर्जे से हटा कर मात्र पौराणिक कहानी सिद्ध करवा दिया ।नोट – भारतीय इतिहास मे लिखित तौर पर सिर्फ उन वंशों का भारी जिक्र हे जिनके वंश और रियासत पूर्ण रूप से समाप्त हो चुकीं है मत्लब इनके गौरवशाली इतिहास से पंडित नेहरू की सत्ता को कोइ भी क्षती नही पहुचनी थी क्यों की राजपूत , मराठा इत्यादी यह वो ताकतवर रियासतें हें जिनका अस्तित्व आज भी जीवित है ।। े

13 – मात्र बुंदेला राजपूतों ने मराठों के साथ मिलकर अपने सामराज्य से अकबर के पुत्र एवं उत्तराधिकारी जहांगीर ( कच्छवाहा राजपूतों की परसियन दासी मरियम-उज्-जवानी का पुत्र था ) को अपने राज्य क्षेत्र से खदेढ़ दिया था ।।14- जहांगीर की माँ व अकबर की बेगम मरियल उज्जवानी(जोधा) पारसी दासी थी अगर वो राजपूत होती तो अपने पुत्र जहांगीर को बुंदेला राजपूत व मराठों से कभी लड़ने ना देती !! और वैसे भी किसी तुर्की का विवाह किसी असली राजपूत से कर दिया जाए तो वह या तो क्रोध से मर जाएगा या फिर अपने रहते उस तुर्क को जिंन्दा नहीं रहने देगा ।।
14- जहांगीर की माँ व अकबर की बेगम मरियम उज्जवानी(जोधा) अगर राजपूत होती तो अपने पुत्र जहांगीर को बुंदेला राजपूत व मराठों से कभी लड़ने ना देती !! और वैसे भी किसी तुर्की का विवाह किसी असली राजपूत से कर दिया जाए तो वह या तो क्रोध से मर जाएगा या फिर अपने रहते उस तुर्क को जिंन्दा नहीं रहने देगा ।।
15 – अब सवाल यह उठता है की अजकल के यह मन घड़ित नाटक(सीरियल) क्यों चलाए जाते है यह इसलिए क्यों की यह इतिहास के किसी भी पन्ने में दर्ज नही है कि मरियम जिसे हम जोधा बोलते हैं वह राजपूत थी दूसरी बात ये की यह एक विवादित मुद्दा है जिसका राजपूत समुदाय कड़ा विरोध करता है इसलिये यह विवादों में आ जाता है और इस झूटे सीरियल को फ्री की प्बलिसिटी मिल जाती है जिसका लाभ प्रोड्यूसर(एकता कपूर) को मिल जाता है !! और कुछ मासूस हिन्दू लड़कियाँ इस झूठी लव स्टोरी वाले सीरियल को देखकर अकबर के प्रती इम्प्रेस हो जाती है जो की एक कायर और एक अत्याचारी व क्रूर शासक था जिसने लाखों औरतों को अपने हरम का जबरन शिकार बनाया उनकी मजबूरियों का फाएदा उठाकर ।।और आजकल की मोर्डन लड़कियाँ बड़े आसानी से लव जिहाद ( इसका मत्लब धर्म को बड़ाना ज्यादा से ज्यादा लोगों को मुसलमान बनाना मार के जबरन या प्यार से भी ) का शिकार बन जातीं है और किसी बी मुसलमान लड़के के झूटे प्यार में फस जातीं है , बाद में जों होता है उसे में यहाँ लिख नही सक्ता लेकिन इन सब के पीछे इस्लामिक कट्टरता और धार्मिक राजनीति होति है जिसमें वर्षो से कान्ग्रेस का हाथ रहा है लिकिन हकीकत तो यही ह मित्रों की अकबर एक क्रूर व अत्याचारी शासक था !! जिसने अपना झूटा इतिहास लिखवाया और मरियम(जोधा) जो कि खुद एक दासी होकर भी अकबर की बेगम नहीं बनना नही चाहती थी ।।ँ
16- अकबर की अकबरनामा जिसे कुछ मूर्ख अकबर की आत्मकथा कहते है वह उसकी आत्मकथा नहीं कहला सक्ती क्योकी आत्म कथा एक मनुष्य खुद लिखता है और अकबर एक अनपढ़ शाषक था अकबर नामा के रचनाकार मोहोम्मद अबुल फजल थे जो की अकबर के उत्तीर्ण दर्जे ( उच्च कोटी ) के चाटुकार थे अब अगर वो उसमें ये भी लिख देते की अकबर आसमान के तारे गिनने की क्षमता रखता था तो आप आज एक्झाम में इस प्रश्न को भी पढ़ रहे होते ।।
17 क्षत्रपती शिवाजी ने ओरंगजेब के कई बार दांत खट्टे किये और उससे कई महत्वपूर्ण राज्य छीन लिए और अपने राज्य को स्वतंत्र राज्य बनाया ।। मालुम हो कि शिवाजी ने अपना सामराज्य का जमीनी स्तर से विस्तार किया था जब की औरंगजेब को सत्ता विरासत में मिली थी और शिवाजी ने अपने सामराज्य को इस कदर ताकतवर बनाया कि मुघल आँख उठाकर देखने की भी चेष्ठा ना करें बाद में ओरंगजेब ने संधी करने के लिए शिवाजी को आगरा बुलाया और छल पूर्वक शिवाजी को बंधी बना लिया और आगरा किले में कैद कर लिया और शिवाजी के सभी राज्यों को हड़प लिया अंत: शिवाजी काराग्रह से भाग गए और अपने सभी राज्य ओरंगजेब से छीन लिए ।।
18- औरंगजेब को जब अकबर का विवाह दासी की पुत्री से होने वाली बात पता चली तो उसने अकबर के द्वारा हटाए गए जिजया कर(tax for non muslims) और महसूर कर(tax for hindus for doing tirath तीर्थ) को दोबारा चलवाया इसके साथ – साथ उसने इस्लामिक कट्टरवाद को बड़ावा दिया जो कि मुघलिया सल्तनत के पतन का कारण बनी अंत: राजपूतों ,  ने मिलकर मुघलों को खत्म कर डाला और यह थी इतिहास की पहली क्रांती इसके बाद अंग्रेजों का विस्तार हुआ जिन्हें मुघलों ने ही निमंत्रण दिया था ।।
19- नेशनल जियोग्रेफिक(National Geographic Channel) चैनल पर (डेड्लीलीएस्ट वारीयर/Deadliest warrior) नाम के कार्यक्रम में बहुत से विदेशी इतिहासकारों ने दावा किया है की हल्दीघाटी त्रतीय युद्घ में राणा प्रताप की 20,000 की जन संख्या वाली सेना जिसमे ब्राहमण वैश्य शूद्र व सभी जाती के लोग अकबर की 80,000 की आबादी वाली सेना से लड़े थे जिसमें युद्ध मै महाराणा ने अकबर को हरा दिया ओर महाराणा की सेना के हमले से अकबर की सेना 5 कोश  को रण भू भागना पड़ गया ।।ेयाद रहे विक्कीपेडिया पर लिखी हर बात सच नहीं होती आप खुद भी उसमे मेनिपुलेशन (Manipulation)कर सक्ते हैं !! क्षत्रीयों का इतिहास क्षत्रीय बता सक्ते है और मुघलों का इतिहास कोन्ग्रेस ।।
आप चंद्रशेखर शर्मा की बूक मै भी पढ़ सकते हैं हल्दीघाटी मै महाराणा की जीत का
 जब औरंगज़ेब को ये बात चली की उसकी ओर उसके पूर्वजों की शादी शादियों दसियों से हुई  तब उसने जजिया कर वापस शुरू किया ओर हिन्दुओ का नरशाहर किया ओर हिन्दुओ के मंदिर गिराए
कुछ लोग हार के भी जीत जाते हैं,
कुछ लोग जीत के भी हार जाते है
नहीं दिखते अकबर के बुत कहीं
राणा के घोड़े हर चौराहे पे नजर आते हैं..|| साभार

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