Saturday, December 28, 2024
spot_img
Homeराज्यKhiria Ki Bagh Movement : किसानों की मर्ज़ी के खिलाफ सरकार ज़मीन...

Khiria Ki Bagh Movement : किसानों की मर्ज़ी के खिलाफ सरकार ज़मीन नहीं ले सकती : जमीन मकान बचाओ संयुक्त मोर्चा 

 दिल्ली दर्पण टीवी ब्यूरो 

जमीन मकान बचाओ संयुक्त मोर्चा के नेता राम नयन यादव और राजीव यादव ने कहा है कि  आज़मगढ़ के तहत गदनपुर हिच्छनपट्टी, जिगिना करमनपुर, जमुआ हरीराम, जमुआ जोलहा, हसनपुर, कादीपुर हरिकेश, जेहरा पिपरी, मंदुरी, बलदेव मंदुरी व आसपास के ग्रामवासी 13 अक्टूबर 2022 से अनवरत खिरिया की बाग, जमुआ में धरने पर बैठे हैं। जमीन-मकान नहीं देंगे, अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का मास्टर प्लान वापस लेने, किसान नेताओं के उत्पीड़न व आंदोलनकारियों पर से झूठे मुकदमे वापस लेने और 12-13 अक्टूबर के दिन और रात में सर्वे के नाम पर एसडीएम सगड़ी और अन्य राजस्व अधिकारी व भारी पुलिसबल के द्वारा महिलाओं-बुजुर्गों के साथ हुए उत्पीड़न के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए धरने पर बैठे हैं। 

इन नेताओं ने कहा है कि जिलाधिकारी आज़मगढ़ से गत 30 दिसंबर उनके  कार्यालय में वार्ता हुई. किसानों-मजदूरों के वार्ताकारों ने प्रस्ताव पूछा तो बताया गया कि अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के लिए 670 एकड़ जमीन अधिग्रहित करने के लिए सर्वे किया गया है. जिस पर पूछा गया कि जब हम जमीन नहीं देना चाहते तो सर्वे का क्या औचित्य और हमसे शासन-प्रशासन ने इस बारे में कभी कोई बात नहीं कि और 12-13 अक्टूबर 2022 की दिन और रात में राजस्व कर्मी भारी पुलिस बल के साथ सर्वे करने लगे और ग्रामीण महिलाओं-बुजुर्गों को मारा-पीटा और दलित महिलाओं को जातिसूचक-महिला विरोधी गालियां भी दी। 

इन नेताओं का कहना है कि रात के अंधेरे में सर्वे के औचित्य पर जिलाधिकारी ने कहा कि जब विरोध करेंगे तो हम करेंगे ही। इससे प्रतीत होता है कि जिलाधिकारी ने 12-13 अक्टूबर   के दिन और रात में किए गए सर्वे और उत्पीड़न को सही ठहराया.  हमने कहा कि जब ग्रामीण जमीन-मकान नहीं देना चाहते और ग्राम सभाओं को यह अधिकार है कि अगर ग्रामवासी जमीन नहीं देना चाहते तो उनकी जमीन नहीं ली जा सकती. जब आज तक गांव में आकर सर्वे नहीं किया गया तो सर्वे कैसे हुआ सर्वे फर्जी है. इस पर बताया गया कि उनके पास मौजूद खतौनी, ड्रोन और मौजूद दस्तावेजों के आधार पर सर्वे किया गया है. जबकि भूमि अधिग्रहण कानून के मुताबिक ग्राम प्रतिनिधियों की मौजूदगी में सर्वे किया जाएगा, सर्वे प्रभावित क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर होगा, सर्वे रिपोर्ट को प्रकाशित कर जनसुनवाई की जाएगी पर ऐसा कुछ नहीं हुआ. ऐसे में यह सर्वे सरासर गलत है. ग्रामीणों ने पूछा कि सर्वे का क्या आधार है कोई नोटिस, नोटिफिकेशन है क्या तो इसके जवाब में बताया गया कि ऐसा कुछ नहीं है एक दो लाइन का शासन की तरफ से आया है कि इन-इन जिलों एयरपोर्ट के लिए जमीन ली जाएगी और हम उसी के आधार पर सर्वे कर रहे हैं. भूमि अर्जन, पुनर्वास और पुनव्यरवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम, 2013 में भू-स्वामियों तथा अन्य प्रभावित कुटुम्बों को कम से कम बाधा पहुंचाए बिना भूमि अर्जन के लिए कहा गया है. जबकि जो सर्वे किया गया है उसमें बड़े पैमाने पर लोगों के आशियाने हैं जिसमें दलित व पिछड़ी जातियों में ऐसे बहुतायत हैं जो भूमिहीन हैं या जमीन के कुछ टुकड़े हैं जिसमें बमुश्किल वो आशियानें बनाकर रहते हैं। इन नेताओं का कहना है कि  किसी भी प्रकार का भूमि अधिग्रहण उनको सड़क पर ला देगा।

 प्राथमिक विद्यालय, पंचायत भवन, जच्चा-बच्चा केंद्र, आंगनवाड़ी, नहर, जलाशय, कुएं भी प्रभावित हो रहे हैं. यहां छोटी जोत के गरीब किसान-मजदूर की खेती पर जीविका आश्रित है. संविधान के 73वें संशोधन के साथ यह प्रावधान किया गया है कि ग्राम सभा और पंचायतें जो सत्ता की सबसे छोटी इकाई हैं को अपने क्षेत्र की विकास योजनाएं खुद बनाने का अधिकार है. यह सत्ता के विकेंद्रीकरण के लिए किया गया है. ऐसे में शासन-प्रशासन ग्राम सभा व पंचायतों का संवैधानिक अधिकारों का हनन करते हुए भूमिअधिग्रहण कानून के खिलाफ जाकर गैर कानूनी कदम उठाया. आज़मगढ़ में एयरपोर्ट सालों से बना पड़ा है जिससे आज तक एक भी विमान नहीं उड़ा है. आज़मगढ़ के चारो तरफ कुशीनगर, गोरखपुर, वाराणसी, प्रयागराज, अयोध्या और लखनऊ में एयरपोर्ट है जहां चन्द घंटों में पहुंच सकते हैं. आज़मगढ़ में एयरपोर्ट बनने से क्षेत्र का कोई विकास नहीं हुआ और न इससे कोई रोजगार मिलने की संभावना है. सभी ग्रामसभाओं ने एक मत से निर्णय लिया है कि अपनी जमीन नहीं देंगे। 

इन नेताओं का कहना है कि प्रशासन द्वारा गैरकानूनी और असंवैधानिक तरीके से भूमि अधिग्रहण की जो कार्रवाई की जा रही उससे ग्रामीणों में जमीन-मकान चले जाने के भय से लोग सदमें में हैं और अब तक 16 किसानों की जमीन-मकान जाने के सदमें से मृत्यु हो चुकी है. ग्रामीण पिछले 83 दिन से भयंकर ठंडी और कोहरे के बीच खिरिया बाग, जमुआ में धरने पर बैठने को मजबूर हैं. जबरन भूमि अधिग्रहण के लिए किए गए फर्जी सर्वे ने हम ग्रामीणों का जीना दूभर कर दिया है हम सब काम-धाम छोड़कर अपने पुरखों की जमीन बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं ऐसे में हमारी मांग है कि अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का मास्टरप्लान रदद् किया जाए। 

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments