Friday, November 8, 2024
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उपराष्ट्रपति और कानून मंत्री को हटाने वाली याचिका SC में खारिज

बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन की जनहित याचिका को बॉम्बे हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी। अब यह याचिका जब सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई तो सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया। दरअसल याचिका में उपराष्ट्रपति और कानून मंत्री को पद से हटाने की मांग की गई थी। 

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट पर बयानबाजी करने वाले उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और कानून मंत्री  किरेन रिजजू का मामला बॉम्बे हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और मामले को रद्द कर दिया गया। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जजों की नियुक्ति के लिए न्यायपालिका और कॉलेजियम प्रणाली पर किए गए टिप्पणियों को लेकर उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर दिए गए बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली अपील पर विचार करने से इनकार कर दिया है । 

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पार्दीवाला की खंडपीठ ने कहा कि हाई कोर्ट का फैसला सही था। पीठ ने कहा, ‘हमारा मानना ​​है कि हाईकोर्ट का दृष्टिकोण सही है। 

बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन ने जनहित याचिका खारिज करने के हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाईकोर्ट के 9 फरवरी के आदेश को चुनौती देते हुए, वकीलों के निकाय ने कहा कि दो सम्मानित पदों पर बैठे व्यक्तियों ने संविधान में ‘विश्वास की कमी’ दिखाते हुए सुप्रीम कोर्ट पर हमला करने की कोशिश की। यह दिखाता है कि उनका कानून के लिए सम्मान कम है। उन्हें उनके पद से हटाया जाना चाहिए। 

बंबई हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि भारत के सुप्रीम कोर्ट की विश्वसनीयता ‘आसमानी’ है और इसे किसी व्यक्तियों के बयानों से कम या प्रभावित नहीं किया जा सकता है। 

एसोसिएशन ने हाईकोर्ट के समक्ष, धनखड़ को उप राष्ट्रपति के रूप में कर्तव्य का निर्वहन करने और रिजिजू को केंद्र सरकार के कैबिनेट मंत्री के रूप में अपने कर्तव्य का निर्वहन करने से रोकने की मांग की थी। 
जनहित याचिका में दावा किया गया था कि दो जिम्मेदारी भरे पदों पर बैठे व्यक्तियों द्वारा ‘न केवल न्यायपालिका बल्कि संविधान पर हमला’ ने सार्वजनिक रूप से सुप्रीम कोर्ट की प्रतिष्ठा को कम किया है। 

बता दें कि केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू जजों की सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर अपनाए जाने वाली कॉलेजियम व्यवस्था के खिलाफ हमेशा बयान देते रहते हैं। 

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