कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी से तालमेल बैठाने को चुना अरविन्द सिंह लवली को
दिल्ली में आप से गठबंधन के पक्षकार होने की वजह से दिल्ली के कई दिग्गजों से मतभेद थे अरविंदर सिंह लवली के
मल्लिकार्जुन खड़गे की पसंद बताये जा रहे हैं अरविंदर सिंह लवली
अजय माकन और संदीप दीक्षित के साथ केजरीवाल सरकार का विरोध करने पर अड़े थे अनिल सिंह चौधरी
चरण सिंह राजपूत
Delhi Congress President: कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अरविंदर सिंह लवली को दिल्ली की बागडोर सौंप दी गई है। अरविंदर सिंह लवली को कांग्रेस का नया अध्यक्ष पद बनाने के बाद अब इस बात पर भी विराम लग गया की कि नया अध्यक्ष कौन होगा? दरअसल यह निर्णय कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का माना जा रहा है। हालांकि राहुल गांधी और वेणुगोपाल देवेंद्र सिंह यादव के पक्ष में थे। खड़गे राहुल गांधी को यह समझाने में सफल रहे कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी को साधना बहुत जरूरी है।
दरअसल अनिल सिंह चौधरी पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन और पूर्व सांसद संदीप दीक्षित के साथ मिलकर दिल्ली में आप से गठबंधन का विरोध कर रहे थे। केंद्र में आप के गठबंधन के बावजूद दिल्ली में केजरीवाल सरकार का विरोध किया जा रहा था। यह एक तरह से हाईकमान को अखर रहा था। वैसे भी अरविंदर सिंह लवली दिल्ली यूथ के अध्यक्ष रह चुके हैं।
अरविंदर सिंह लवली आम आदमी पार्टी से गठबंधन के पक्षधर रहे हैं। इसी वजह से उनके दिल्ली के कई दिग्गजों से मतभेद चल रहे थे। अरविंदर सिंह का पंजाबी बिरादरी के साथ ही दूसरी बिरादरी पर काफी प्रभाव माना जाता है। उधर बीजपी के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा की काट के रूप में भी अरविंदर सिंह लवली को देखा जा रहा है।
दरअसल कांग्रेस का मुख्य फोकस केंद्र में सरकार बनाने में है। इसके लिए फ़िलहाल वह प्रदेश की राजनीति समय पर छोड़ देना चाहती है। आम आदमी पार्टी से गठबंधन से दिल्ली, पंजाब, गुजरात, मध्य प्रदेश और गोवा में कांग्रेस को फायदा मिलेगा।
दरअसल इस बात को लेकर लंबे समय से कयास बाजी का दौर चल रहा था। अब लवली की ताजपोशी के साथ चर्चा इस बात की होने लगी है कि क्या वो इंडिया अलाएंस की राजनीति के दौर में AAP प्रमुख अरविंद केजरीवाल और अन्य नेताओं से तालमेल बैठा पाएंगे? यह सवाल सबसे ज्यादा अहम इसलिए है कि कुछ माह बाद लोकसभा चुनाव होना है।
इसलिए मिली दिल्ली की जिम्मेदारी!
दरअसल, अरविंदर सिंह लवली कांग्रेस के युवा और कद्दावर नेता हैं। वह न केवल शिक्षा और परिवहन मंत्री रह चुके हैं, बल्कि वो इससे पहले भी दिल्ली कांग्रेस की जिम्मेदारी निभा चुके हैं। उनकी पकड़ न केवल पंजाबी मतदाताओं पर है, बल्कि पूर्वांचली वोटर्स में भी उनका अच्छा प्रभाव है। वह दिल्ली कांग्रेस नेताओं के पसंद और नापसंद को भी अच्छी तरह से जानते हैं। अलायंस के दौर में वो दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष पद के मुफीद शख्स भी हैं. ऐसा इसलिए कि वह लोकसभा चुनाव 2019 में भी AAP के साथ मिलकर चुनाव लड़ने पक्ष में रहे थे। इस मसले पर उनका कांग्रेस के कुछ नेताओं से पर्दे के पीछे मतभेद भी रहा था।
अरविंदर सिंह लवली की खासियत यह भी कि वो राजनीति में हार्डलाइन खींचकर चलने में विश्वास कम रखते हैं। वह पार्टी के हितों पर जोर तो देते हैं, लेकिन जरूरत पड़ने पर किसी और से साथ तालमेल बनाने में भी पीछे नहीं रहते हैं।. प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए संदीप दीक्षित, अजय माकन और देविंदर यादव का नाम भी सुर्खियों में था लेकिन इनमें से दो ने नेता तो साफ तौर पर AAP के साथ गठबंधन का विरोध करते आये हैं। यही वजह है कि इंडिया अलाएंस में AAP के होने की वजह से पार्टी ने उन्हें ही दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की जिम्मेदारी सौंपने का फैसला लिया है।
गौतम गंभीर और आतिशी के खिलाफ लड़ चुके हैं चुनाव
लवली साल 2019 के लोकसभा चुनाव में पूर्वी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी प्रत्याशी गौतम गंभीर और आतिशी (AAP) के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं। दोनों चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। लवली कॉलेज के दौर से ही दिल्ली की राजनीति में सक्रिय हैं। 1990 में वह दिल्ली युवा कांग्रेस के महासचिव की जिम्मेदारी निभा चुके हैं। 1992 से 1996 तक नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) के महासचिव के रूप में कार्य किया। 2017 में, उन्होंने कुछ समय के लिए पार्टी से अपना नाता तोड़ लिया और अप्रैल 2017 में विरोधी पार्टी बीजेपी में शामिल हो गए, लेकिन वो बीजेपी नेताओं से तालमेल नहीं बैठा पाए। कुछ समय बाद कांग्रेस में वापस लौट आये।