बवाना इंडस्ट्रियल एरिया एसोसिएशन ने बीजेपी का व्यक्त किया आभार
दिल्ली दर्पण ब्यूरो
नई दिल्ली। बवाना इंडस्ट्रियल एरिया में पार्किंग शुल्क लगाए जाने के विरोध में होने वाला चक्का जाम अब जश्न के माहौल में बदल गया है। बवाना से जुडी एसोसिएशन के साथ साथ बीजेपी और आम आदमी पार्टी भी इसे जनता की जीत बता रही है। हालांकि अब इस जीत का सेहरा किस पार्टी के सर बंधे, इस पर सियासत भी जमकर सियासत हो रही है।
दरअसल बाहरी दिल्ली के बवाना इंडस्ट्रियल एरिया में DSIDC ने 15 अक्टूबर से हर आने और जाने वाले वाहनों पर पार्किंग शुल्क का ऐलान किया तो बवाना चेम्बर्स ऑफ़ इंडस्ट्रीज ने इसके खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया। बवाना चेंबर के इस आंदोलन का सभी ने समर्थन किया। 12 अक्टूबर को इसके विरोध में बवाना में चक्का जाम का ऐलान किया था। इस प्रदर्शन में जैसे ही बीजेपी की एंट्री हुई तो आम आदमी पार्टी भी मामले की गभीरता को देखते हुए तुरंत हरकत में आ गई और पार्किंग शुल्क लगाए जाने के फैसले को रद्द कर दिया। आम आदमी पार्टी के विधायक ने यह स्वीकार किया कि बवाना इंफ़्रा मनमाने तरीके से जेब भरने का काम कर रही थी। बवाना की सुखमनी इंडस्ट्रियलिस्ट एसोसिएशन ने आप नेताओं और पत्र लिखे थे। आप विधायक राजेश गुप्ता , महेंद्र गोयल , बृजेश गोयल ने पार्किंग शुल्क रद्द किये जाने का ऐलान कर दिया और मुखमयात्री का आभार व्यक्त किया।
इससे पहले बवाना चेंबर पार्किंग शुल्क के विरोध में आज चक्का जाम की तैयारी पूरी कर चुकी थी। बवाना चेंबर से जुड़े कारोबारी और ट्रांसपोर्टर 11 अक्टूबर को दिल्ली बीजेपी प्रदेश कार्यालय में स्थानीय नेताओं के साथ पहुंचे। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने भरोसा दिया कि वे इस गुंडा टेक्स को नहीं लगने देंगे। बीजेपी नेताओं ने भी एक सुर में आंदोलन का ऐलान कर दिया।
अब जैसे ही आम आदमी पार्टी सरकार ने पार्किंग शुल्क का ऐलान वापस लिया तो बवाना चेंबर अध्यक्ष राज जैन ने बीजेपी का आभार व्यक्त किया और इसे जनता की जीत करार दिया।
बहरहाल अब जब पार्किंग शुल्क समाप्त हो गया है तो बवाना में दोनों तरफ जश्न के साथ साथ सियासत और सवालों का दौर शुरू हो गया है। इस सारे घटनाक्रम पर सवाल बीजेपी और बवाना इंफ्रा पर भी उठ रहे है। क्या बवाना इंफ़्रा इस कदर बवाना में मनमाने कर रही है ? क्या सचमुच बवाना इंफ्रा सचमुच दिल्ली सरकार को अँधेरे में रखकर करोड़ों रुपये की वसूली का खेल खेलने जा रही थी ? क्या सचमुच स्थानीय विधायक और आम आदमी पार्टी पता नहीं चल सका ? या फिर मामले की गंभीरता को भांप कर पार्किंग शुल्क का फैसला वापस लिया ?
इन सभी सवालों के साथ साथ शंका यह भी है की क्या सरकार इस फैसले को ईमानदारी से पूरा करेगी ?