Thursday, May 9, 2024
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Sahara Protest : जब सुब्रत राय को लखनऊ से गिरफ्तार कर सड़क के रास्ते दिल्ली सुप्रीम कोर्ट लेकर आई थी पुलिस 

Sahara Protest : सहारा शहर स्थित आवास से गिरफ्तार किया गया था सहारा के श्री को 

सी.एस. राजपूत 

बात 28 फरवरी 2014 की है, जब सहारा के चैयरमेन सुब्रत राय की मनमानी से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने के उनके गिरफ्तारी के आदेश पर लखनऊ पुलिस ने सुब्रत राय को सहारा शहर स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया था। और सड़क के रास्ते सुब्रत राय को दिल्ली सुप्रीम कोर्ट में पेश किया गया था। जो सुब्रत राय के मुंह पर कालिख पोता फोटो सोशल मीडया पर देखते हैं वह फोटो सुप्रीम कोर्ट में पेश होने जाते हुए एक निवेशक वकील द्वारा सुब्रत राय पर फेंकी गई स्याही थी। दरअसल जब सुब्रत राय को दिल्ली सुप्रीम कोर्ट में पेश करने के लिए ले जा रहे थे तो मध्य प्रदेश के वकील बताये जा रहे एक व्यक्ति ने करीब से सुब्रत राय पर स्याही फेंक दी थी।  हालांकि तभी उस वकील को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। हालांकि सुब्रत राय की इस गिरफ्तारी को उस समय सहारा प्रबंधन ने सुब्रत राय का आत्मसमर्पण कहा था। 


तब सुब्रत रॉय के बड़े बेटे सीमांतो रॉय ने दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि  “इस समय जबकि मैं आपसे बात कर रहा हूं सहारा श्री उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ हैं।  उन्होंने सुबह लखनऊ पुलिस के सामने समर्पण कर दिया है। वह सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार अधिकारियों से पूरी तरह सहयोग कर रहे हैं। सुब्रत राय की ओर से एक अपील दायर की गई थी। उस समय सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रत रॉय की अंतरिम अपील को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि विशेष बेंच के लिए शुक्रवार को मामले की सुनवाई करना संभव नहीं है। दरअसल सुब्रत रॉय के वकील राम जेठमलानी ने अदालत में अपील दायर की थी कि उन्हें गिरफ्तारी से राहत दी जाए, जिससे वह अपनी बीमार माँ के साथ समय गुजार सकें।

दरअसल सुब्रत रॉय को चार मार्च को न्यायालय में पेश होना था। मतलब इस तरह तब तक सुब्रत राय को जेल में ही रहना था। उस समय सहारा समूह के पास 682 अरब रुपए की संपत्ति बताई गई थी। वित्त क्षेत्र से अपना व्यवसाय शुरू कर वह विनिर्माण, विमानन और मीडिया के क्षेत्र में भी अपना रुतबा बनाने में लगे थे। उनका कारोबार विदेशों में भी फैला था, वह न्यूयॉर्क के लैंडमार्क प्लाज़ा होटल और लंदन के ग्रॉसवेनर हाउस के भी मालिक थे। स

हारा इंडिया भारतीय हॉकी टीम की प्रायोजक भी थे। साथ ही उनकी फ़ोर्स इंडिया नाम की फ़ॉर्मूला वन टीम में भी हिस्सेदारी थे। उस समय सुब्रत राय ने दावा किया था कि 11 लाख से अधिक कर्मचारियों के साथ सहारा इंडिया देश में रोज़गार देने वाली निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी है।

दरअसल सुब्रत रॉय अपनी विलासितापूर्ण जीवनशैली और ऊंची राजनीतिक पहुँच को लेकर अक़सर सुर्ख़ियों में रहे हैं। यह सुब्रत राय का रुतबा ही था कि एक ओर सदी के फ़िल्मी महानायक सुपरस्टार अमिताभ बच्चन उन्हें अपना मित्र बताते हुए गौरवान्वित महसूस करते थे तो दूसरी ओर सुब्रत राय पूर्व ब्रितानी प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर के साथ कंधा मिलाते नज़र आते थे। हालांकि यह सब जनता की खून पसीने की कमाई से चल रहा था। यह जनता से बटोरा अथाह धन ही था कि साल 2004 में हुई सुब्रत रॉय के दोनों बेटों की शादी का जश्न क़रीब एक पखवाड़े तक मनाया गया था। सुब्रत राय के दोनों बेटों सीमांतो राय और सुशांतो राय की इस शादी को शताब्दी की सबसे चर्चित भारतीय शादी बताया गया था और यह शादी मीडिया में छाई रही थी। शादी समारोह में क़रीब दस हज़ार लोग शामिल हुए थे। इसमें व्यवसाय जगत की हस्तियां, बॉलीवुड के सितारे, क्रिकेट खिलाड़ी और फैशन जगत के दिग्गज शामिल हुए थे। इन अतिथियों को विशेष विमानों से लखनऊ ले जाया गया था। 


तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी नवविवाहित जोड़ों को आशीर्वाद देने पहुंचे थे। सुब्रत रॉय के आलोचक कहते हैं कि वह अपनी कंपनी को एक पंथ की तरह चलाते हैं और ख़ुद को कंपनी का प्रबंध कार्यकर्ता बताते हैं। वह ख़ुद को  सहारा परिवार का अभिभावक बताते हैं। वह बात दूसरी है कि कभी उन्होंने अपने कर्मचारियों की जरूरतों का ध्यान नहीं रखा। उन्होंने रियल स्टेट में भी हाथ आजमाए पर किसी कर्मचारी को एक मकान उन्होंने बनाकर नहीं दिया। यदि वह चाहते तो अपने लगभग सभी कर्मचारियों को मकान दे सकते थे। क्योंकि उन्हें मकान की स्टॉलमेंट तो उन्हें कर्मचारी की सेलरी से ही काट लेनी थी। दरअसल सुब्रत राय को किसी को मकान बनाकर देना ही नहीं था। उन्हें तो मकान के नाम पर ठगी करनी थी। 

राजसी ठाठ बाट

कुछ भी हो सुब्रत राय राजसी ठाठ बाट से जिंदगी जी रहे हैं। उनके पास निजी विमानों और हेलिकॉप्टरों का अपना बेड़ा रहा है। उनका एक घर अमरीकी राष्ट्रपति के कार्यालय व्हाइट हाउस की तरह बना है। एक निजी शहर सहारा शहर में बना उनका एक घर लाखों डॉलर की लागत से तैयार हुआ है, जो कि ब्रिटेन के शाही निवास बकिंघम पैलेस की अनुकृति है। भले ही मध्य पुलिस के हाथ वह न लगे हों पर सहारा प्रमुख उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रहते हैं। भारतीय समाचार पत्र-पत्रिकाओं में उन्हें अक्सर देश का सबसे अधिक प्रभावशाली व्यवसायी बताया जाता है। 

सुब्रत रॉय ग़लत कारणों से रहे हैं  सुर्ख़ियों में 

यह सुब्रत राय की हनक ही थी कि निवेशकों के करोड़ों रुपए न लौटा पाने के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट में पेश न होने की वजह से अदालत ने उनके ख़िलाफ़ ग़ैर ज़मानती वारंट जारी किया था। 

ग़ैर क़ानूनी बाँड

उस समय उनकी दो कंपनियों ने पाँच साल पहले क़रीब 240 अरब रुपए एक ग़ैर क़ानूनी बॉन्ड के ज़रिए जुटाए थे। अधिकारियों का कहना था कि अदालत के आदेश के बाद भी वह निवेशकों को पैसा लौटाने में नाकाम रहे हैं। अलग-अलग कारण बताकर सुब्रत रॉय अदालत में पेश होने से बचते रहे हैं। 

2016 में अपनी माता के निधन पर निवेशकों से धोखाधड़ी के मामले में तिहाड़ जेल में बंद सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय को सुप्रीम कोर्ट ने चार हफ्ते की पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया था। सुब्रत राय को पैरोल अपनी मां के अंतिम संस्कार के लिए मिली थी। दरअसल उनकी मां के निधन के बाद उनको पैरोल मिली थी। सहारा इंडिया के प्रमुख सुब्रत राय जो उस समय पिछले 2 साल से जेल में बंद थे।  उन्हें पैरोल पर 4 हफ्ते के लिए रिहा किया गया था, जो अब 2022 के अंत में भी जारी है। 

सुब्रत राय ने 3 हफ्ते की पैरोल के लिए दायर की थी याचिका 

तब यह माना जा रहा था कि सुब्रत राय को 4 हफ्ते की पैरोल मिलने का मतलब यह नहीं है कि उनके खिलाफ चल रहे मामलों में उन्हें राहत मिली है। उनके निजी जीवन में हुई एक दुखद घटना के चलते सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया था। दरअसल सुब्रत रॉय सहारा की मां श्रीमती छवि रॉय का निधन 95 वर्ष की उम्र में था। उनके अंतिम संस्कार के लिए सुब्रत रॉय को यह  पैरोल मिली थी। उस समय सुब्रत रॉय सहारा ने अपनी मां के अंतिम संस्कार और अन्य धार्मिक कर्मकांड के लिए 3 हफ्ते के पैरोल की याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था। वह बात दूसरी है कि 9 साल के बाद भी उनकी पैरोल समाप्त नहीं हुई है। 

पैरोल के दौरान सादे कपड़ों में सुब्रत राय के साथ थी दिल्ली पुलिस 

अब चीफ जस्टिस टी.एस. ठाकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने पैरोल देते हुए कहा था कि इन चार हफ्तों के दौरान सुब्रत राय के साथ सादे कपड़ों में पुलिस वाले रहेंगे। कोर्ट ने यह भी कहा था कि दिल्ली के कमिश्नर तय करेंगे कि कितने पुलिस वाले सुब्रत रॉय सहारा के साथ रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम संस्कार और क्रिया के लिए लखनऊ, हरिद्वार और गंगा सागर जाने की इजाजत दी थी  लेकिन सुब्रत सहारा देश छोड़कर नहीं जा सकते थे। उस समय कोर्ट की स्पेशल बेंच ने सुनवाई करते हुए सुब्रत राय के साथ उनके बहनोई अशोक राय चौधरी को भी कस्टडी पैरोल दी थी। 

सुप्रीम कोर्ट की स्पेशल बेंच ने की थी सुब्रत राय की याचिका की सुनवाई

यह पैरोल सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अगुवाई वाली स्पेशल बेंच ने सहारा के वकील कपिल सिब्बल की पैरोल की दलीलों के आधार पर उन्हें कस्टोडियल पैरोल पर रिहा करने के आदेश दिए थे । ज्ञात हो कि उनकी दो कंपनियों, सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन और सहारा हाउसिंग इंवेस्टमेंट कारपोरेशन लिमिटेड ने 2008 और 2009 में लोगों का पैसा जमा किया था। शीर्ष अदालत ने यह पैसा निवेशकों को लौटाने का आदेश दिया था, जिसमें राय नाकाम रहे और जेल पहुंच गए थे। निवेशकों का पैसा न लौटाने के चलते सुब्रत राय 26 महीने जेल में रहे थे बंद 

बाजार नियामक सेबी के साथ विवाद के चलते सुब्रत रॉय 26 महीने से जेल में बंद रहते थे।  सहारा के निवेशकों को पैसे नहीं लौटाने की वजह से सुब्रत राय 4 मार्च 2014 से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हुए थे और 29 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने सेबी और कैपिटल मार्केट रेग्युलेटर सिक्योरिटी से सहारा की संपत्तियों की बिक्री करने को कहा था। सहारा प्रमुख सुब्रत राय की रिहाई के लिए जमानत राशि जुटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सेबी से सहारा समूह की 87 संपत्ति की बिक्री करने के लिए कहा था। सेबी के वकीलों के मुताबिक सहारा समूह की 40,000 करोड़ रुपये की संपत्ति की बिक्री एक बड़ी मेहनत और लंबी प्रक्रिया का काम था, जिसके लिए समय लगने की बात कही गई थी।

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