Saturday, May 18, 2024
spot_img
Homeअन्यTribute to former PM : करनैल सिंह ने 'सदैव अटल' स्मृति स्थल...

Tribute to former PM : करनैल सिंह ने ‘सदैव अटल’ स्मृति स्थल पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर अटल बिहारी वाजपेयी को दी श्रद्धांजलि 


बीजेपी मंदिर प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक ने कहा-अटल जी की देशभक्ति, कर्तव्यनिष्ठा य समर्पण से मिलती रहेगी राष्ट्रसेवा की प्रेरणा  

दिल्ली दर्पण टीवी ब्यूरो 

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर बीजेपी मंदिर प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक करनैल सिंह  माँ भारती के अमर सपूत, पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती पर ‘सदैव अटल’ स्मृति स्थल जाकर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर करनैल सिंह ने कहा कि अटल जी की देशभक्ति, कर्तव्यनिष्ठा व समर्पण से हमें सदैव राष्ट्रसेवा की प्रेरणा मिलती रहेगी।


करनैल सिंह ने कहा कि यह अटल जी अटल विश्वास ही था कि आज जहां अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है वहीँ जम्मू कश्मीर से धारा 370 भी हट चुकी है। भारतीय जनता पार्टी प्रचंड बहुमत के साथ दोबारा से केंद्र पर काबिज हुई है। देश में सनातन धर्म का जमकर प्रचार और प्रसार हो रहा है। देश में मंदिरों का जीर्णोद्धार हो रहा है। पुजारियों का सम्मान बढ़ा है। करनैल सिंह ने कहा कि विपक्ष में बैठने का रिकार्ड बनाने वाले अटल बिहार वाजपेयी जब प्रधानमंत्री बने तो विपक्ष ने नेता कहते थे कि वाजपेयी जी तो अच्छे हैं पर पार्टी गलत है। इसके जवाब में अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में ही कहा था कि यह कैसे हो सकता है कि यदि पार्टी गलत है तो फिर उस पार्टी में रहने वाला व्यक्ति अच्छा कैसे हो सकता है। मतलब वाजपेयी ने विपक्ष को करारा जवाब दिया था कि उनकी पार्टी अच्छी है इसलिए वह भी अच्छी है।  दरअसल आज पूरा देश पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी की जयंती पर उनको याद कर रहा है। उनकी जयंती पर जगह जगह कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। अटल का व्यक्तित्व ही कुछ ऐसा था कि उन्हें पार्टी के नेता ही नहीं विरोधी भी पसंद करते थे। अटल बिहारी वाजपेयी के नेहरू से तल्ख रिश्ते थे लेकिन उनका सम्मान करते थे। 


संसद में सुनाया था पक्ष और विपक्ष का दिलचस्प किस्सा

टूटे हुए सपने की सुने कौन सिसकी
अंतर को चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी
हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा
काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूं
गीत नया गाता हूं।

आज अटल जी जयंती अपर यह गीत पूर्व प्रधानमंत्री और कवि हृदय अटल बिहारी वाजपेयी की याद दिला रहा है। यह अटल बिहारी वाजपेयी के प्रति दूसरे राजनीतिक दलों में सम्मान ही है कि भारत जोड़ो यात्रा लेकर दिल्ली पहुंचे राहुल गांधी भी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित की। ऐसे में यह भी प्रश्न उठता है कि अचानक कांग्रेस को विरोधी विचारधारा के दिग्गज नेता ‘अच्छे’ क्यों लगने लगे? वाजपेयी कांग्रेस के बारे में क्या सोचते थे ? उनके नेताओं के बारे में उनकी राय क्या थी? भारतीय राजनीति के ‘अजातशत्रु’ के बारे में वैसे तो बहुत कुछ है जिसे आज याद किया जा सकता है लेकिन जब पक्ष और विपक्ष में क्रेडिट लेने की होड़ मची हो, एक दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिशें हो रही हों तो उनका व्यक्तित्व रास्ता दिखाता मालूम पड़ता है। पिछले कुछ वर्षों में पंडित जवाहर लाल नेहरू पर काफी सवाल खड़े हुए। कश्मीर से लेकर चीन के मसले पर भाजपा ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की। एक साल में कोरोना वैक्सीन बनी तो कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों पर सवाल उठे और यह नैरेटिव सेट करने की कोशिश की गई जैसे पिछले 6-7 दशकों में कुछ हुआ ही नहीं।

अटल ने कहा था, 50 साल में हमने प्रगति की है

ऐसे समय में वाजपेयी का संसद में दिया हुआ भाषण सबको सुनना चाहिए। वाजपेयी की ऐसी बेबाक छवि थी कि विपक्ष के नेता भी उनके भाषण के कायल थे। वह दो टूक और स्पष्ट बोलते थे। वह सरकार की अच्छाई की तारीफ और ‘गलत नीतियों’ की आलोचना भी करते थे। पूरी दुनिया में उनके भाषण का अंदाज पसंद किया जाता था। लेकिन उस दिन उन्होंने संसद में कहा था, ’50 साल में हमने प्रगति की है। इससे कोई इनकार नहीं कर सकता। चुनाव के दौरान वोट मांगते हुए सरकार की नीतियों पर कठोर से कठोर प्रहार करते हुए, पुरानी सरकार की नीतियों में आलोचना करने लायक बहुत सामग्री थी। हर जगह मैंने ये कहा कि मैं उन लोगों में से नहीं हूं जो 50 वर्ष की उपलब्धियों पर पानी फेर दे। ऐसा करना देश के पुरुषार्थ पर पानी फेरना होगा। ऐसा करना देश के किसान के साथ अन्याय करना होगा। मजदूर के साथ ज्यादती करनी होगी। आम आदमी के साथ वो अच्छा व्यवहार नहीं होगा।’

अटल का सफरनामा

अटल का जन्म आज यानी 25 दिसंबर के दिन 1924 में ग्वालियर में हुआ था। उन्होंने विक्टोरिया कॉलेज (लक्ष्मीबाई कॉलेज) से स्नातक और कानपुर के दयानंद एंग्लो-वैदिक कॉलेज से राजनीति विज्ञान में एमए किया था। 1957 में वह पहली बार उत्तर प्रदेश के बलरामपुर से चुनकर लोकसभा पहुंचे। उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और पंडित जवाहर लाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे। आगे 47 वर्षों तक उन्होंने सांसद के रूप में देश की सेवा की। वह 10 बार लोकसभा और 2 बार राज्यसभा के लिए चुने गए। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन और 1975 में आपातकाल के दौरान वह जेल भी गए।

नेहरू का सुनाया था दिलचस्प किस्सा

प्रधानमंत्री रहते वाजपेयी ने एक बार नेहरू से अपने संबंधों को लेकर एक दिलचस्प किस्सा सुनाया था। उन्होंने कहा था, ‘कांग्रेस के मित्र शायद भरोसा नहीं करेंगे। साउथ ब्लॉक में एक नेहरू जी का चित्र लगा रहता था। मैं आते-जाते देखता था। नेहरू जी के साथ सदन में नोंक झोक भी हुआ करती थी।’ मुस्कुराते हुए अटल ने कहा था कि मैं नया था, पीछे बैठता था। कभी-कभी बोलने के लिए मुझे वॉकआउट करना पड़ता था। लेकिन धीरे-धीरे मैंने जगह बनाई और आगे बढ़ा। जब मैं विदेश मंत्री बन गया तो एक दिन मैंने गलियारे में देखा कि नेहरू जी का टंगा हुआ फोटो गायब है। मैंने कहा कि ये चित्र कहां गया। 
कोई उत्तर नहीं दिया, वो चित्र वहां फिर से लगा दिया गया। क्या इस भावना की कद्र है? क्या देश में यह भावना पनपे? ऐसा नहीं है कि नेहरू जी से मतभेद नहीं थे। मतभेद चर्चा में गंभीर रूप से उभरकर सामने आती थी। मैंने एक बार पंडित जी से कह दिया था कि आपका एक मिला-जुला व्यक्तित्व है। आपमें चर्चिल भी है और चैंबरलेन भी है। वह नाराज भी नहीं हुए। शाम को मुलाकात हुई तो उन्होंने कहा कि आज तो बड़ा जोरदार भाषण दिया और हंसते हुए चले गए। आज कल ऐसी आलोचना करना, दुश्मनी को दावत देता है।’ 

अटल बिहारी वाजपेयी तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने। पहली बार 1996, 1998 और 1999 में देश की कमान संभाली। पाकिस्तान से रिश्तों को मजबूत करने की कोशिश की और दिल्ली-लाहौर बस सेवा शुरू की। लेखक और कवि अटल को 1992 में पद्म विभूषण और 2015 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 16 अगस्त 2018 को 93 साल की उम्र में वह दुनिया को अलविदा कह गए।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments