Monday, May 13, 2024
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Wow PM’s Patriotism : एक ओर जवान अपने खून से नहा रहे थे तो दूसरी ओर PM मोदी पुष्प वर्षा से 

अनंतनाग आतंकी मुठभेड़ में शहीद हुए जवानों के प्रति शोक व्यक्त करने के बजाय जी-20 शिखर सम्मेलन की सफलता का जश्न मनाने में व्यस्त दिखे राष्टवादी पीएम 

ढोल नगाड़ों की आवाज से दबा दी गई शहीद हुए जवानों की परिजनों की चीख पुकार 

चरण सिंह राजपूत 

जो लोग इस गलतफहमी में हैं कि पीएम मोदी बड़े देशभक्त और समाज के प्रति समर्पित हैं। वे लोग कम से कम अनंतनाग में आतंकी मुठभेड़ में शहीद हुए सेना के जवानों की शहादत के प्रति पीएम मोदी का रवैया जरूर देख लें। इन शहीदों के प्रति शोक संवेदना व्यक्त करने के बजाय मोदी जी-20 के शिखर सम्मेलन की सफलता का जश्न मनाते दिखे। मतलब मोदी के लिए जवानों की शहादत के शोक से ज्यादा  जरूरी अपनी महिमामंडन करना था। 

जमीनी हकीकत यह है कि मोदी को बस एक ही बात की सनक है कि मैं, मैं, मैं और मैं। मोदी इतने संवेदनहीन व्यक्ति हैं कि एक ओर हजारों लोग हादसे के शिकार हो जाएं और दूसरी और उनके शौक पूरे हो रहे हों तो उनको उन हजारों लोगों की मौत पर कोई अफ़सोस नहीं होगा। बस उनकी महिमामंडित होती रहे। अपने को गरीब के बेटा बताने वाले पीएम मोदी जनता का पैसा ऐसे खर्च करते हैं कि जैसे उनके बाप दादा छोड़ गए हों। सेना के नाम पर देशभक्ति का ढोल पीटने वाले मोदी को सेना के जवानों की शहादत से कोई फर्क नहीं पड़ता। बस उनका गुणगान होता रहे।

पीएम मोदी कितने बड़े देहभक्त हैं इसका अंदाजा इसे बात से लगाया जा सकता है कि जिस पुलवामा आतंकी हमले पर मोदी 2019 का लोकसभा चुनाव बिसात बिछाई उस आतंकी हमले की शहादत के लिए उन्होंने कुछ नहीं किया। यहां तक कि अभी तक उस आतंकी हमले की जांच तक नहीं की गई है। पुलवामा आतंकी हमले के समय भी ऐसा ही हुआ था। उधर आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हो गए इधर पीएम के पास इस दुखद समाचार को सुनने का समय भी नहीं था। साहब अपनी शूटिंग में जो व्यस्त थे। यह बात जम्मू कश्मीर के तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने भी कही है कि जब उन्होंने पीएम मोदी को फोन किया तो उन्हें बताया गया कि साहब शूटिंग में व्यस्त हैं। 

अब भी ऐसा ही हुआ। जब जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले में आतंकियों से मुठभेड़ में सेना के दो अधिकारी और एक पुलिस असफर शहीद हो गए तो साहब को जी-20 शिखर सम्मेलन की सफलता का जश्न मनाना ज्यादा जरूरी था। दुखद और शर्मनाक बात तो यह है कि अपने को गरीब का बेटा बताने वाले पीएम मोदी को पानी में नहाने में मजा नहीं आता है। इन साहब के लिए तो नहाने के लिए पुष्प वर्षा होनी चाहिए। मतलब गरीब जनता की गाढ़ी कमाई में से इनके शौक पूरे करने के लिए क्विंटलों फूल लाये जाते हैं। 

देश के लिए इससे शर्मनाक बात नहीं हो सकती है कि सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस जब शहीदों के शवों पर माल्यार्पण कर रही थी और शवों को उनके परिजनों के पास भेजने की तैयारी चल रही थी ठीक उसी समय ही देश की राजधानी में स्थित अपने देश की सबसे बड़ी देशभक्त पार्टी बताने वाली भाजपा मुख्यालय में जश्न मनाया जा रहा था। एक ओर सेना के जवान खून में नहा रहे थे तो दूसरी ओर पीएम मोदी पुष्प वर्षा में नहा रहे थे। 

पीएम मोदी पुष्पों की बारिश करने वाले कोई और नहीं बल्कि पीएम मोदी के सिपेहसालार गृह मंत्री अमित शाह, जेपी नड्डा और दूसरे नेता थे। इस दिखावे के जश्न के सामने देश पर शहीद हुए इन जवानों की परिजनों की चीख पुकार को भी ढोल नगाड़ों की आवाज से दबा दिया गया। एक ओर सेना में मातम था तो दूसरी और सेना के पराक्रम को भुनाने वाले खुशियां मना रहे थे। 

अब अनंतनाग में आतंकियों के साथ सेना के कर्नल-मेजर और पुलिस के डीएसपी शहीद हो गए पर साहब पर कोई असर नहीं। साहब के लिए सेना की शहादत से ज्यादा चिंता की बात जी-20 की सफलता का जश्न है। सफलता का राग तो पीएम मोदी ऐसे बखान कर रहे हैं कि जैसे करोड़ों युवाओं को उन्होंने रोजगार दे दिया हो।  मोदी की देशभक्ति यह है कि एक ओर सेना के जवान आतंकियों से लोहा ले रहे थे तो दूसरी ओर पीएम मोदी जश्न में अपनी महिमा मंडन करा रहे थे। जरा जरा सी बात पर ट्वीट करने वाले पीएम मोदी ने सेना के जवानों की शहादत पर एक ट्वीट करना भी मुनासिब नहीं समझा। उनके लिए सेना की शहादत से शोक व्यक्त करने से ज्यादा जरूरी मध्य प्रदेश का विधानसभा चुनाव है। पीएम मोदी के इस रवैये का मतलब तो यही है कि शहीद होने वाले कोकेरनाग में 19 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल मनप्रीत सिंह; मेजर आशीष धोंचक और पुलिस उपाधीक्षक हुमायूं मुजामिल भट के प्रति पीएम मोदी की कोई शोक संवेदना नहीं है। हां पीएम मोदी इस हमले का बदला लेने का ड्रामा करते हुए कोई सर्जिकल स्ट्राइक जरूर कराएंगे। 

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